1.0×

जीता है तब इसमें व्यक्ति को कर्म स्वतंत्रता अपने आप समझ में आता है। शोध का उद्देश्य स्पष्ट है, जीने का उद्देश्य स्पष्ट है। जीने का उद्देश्य एक ही स्थान पर ध्रुवीकृत होता है कि मानव सुख से जीना चाहता है। सुखी होने के लिए प्रक्रिया एक ही है, जीवन का उद्देश्य, मानव का उद्देश्य सम्पन्न होना चाहिए। समझदारी से जीवन का उद्देश्य सम्पन्न होना चाहिए। समझदारी से जीवन का उद्देश्य पूरा होता है। जीवन तृप्त होता है और तृप्त जीवन ही मानव के उद्देश्य समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व प्रमाण को बनाये रखने में समर्थ होता है। यही व्यवस्था में जीने का प्रमाण है। व्यवस्था में जीता है, चारों लक्ष्य उपलब्ध रहते हैं। ऐसी मानव परंपरा एक दूसरे के लिए उपकारी होती है। एक दूसरे को समझदार बनाना ही उपकार है फलस्वरूप सहअस्तित्व का अर्थ परम्परा रूप में सार्थक हो पाता है। मानव परम्परा में सहअस्तित्व को वर्तमान में बनाये रखना ही व्यवस्था है। सहअस्तित्व के विपरीत जब भी कुछ होता है तो व्यवस्था में गड़बड़ी होती है। मानव कर्म स्वतंत्रता और कल्पनाशीलता वश कुछ भी गड़बड़ कर देता है। जैसा धरती को बहुत तंग किया गया। ये पता नहीं था कि इस गड़बड़ी से क्या परेशानी हो सकती है जब पता चला तो उसका उपाय नहीं रह गया। कल्पनाशीलता और कर्मस्वतंत्रता वश ही मानव हमेशा शोध अनुसंधानरत रहता है। शोध और अनुसंधान तभी सार्थक होता है जब वह व्यवस्था के लिए हो, समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व के लिए हो। समझदारी से आदमी -

1. स्वयं में विश्वास

2. श्रेष्ठता का सम्मान

3. प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलन

4. व्यवहार में सामाजिक

5. व्यवसाय में स्वावलंबी हो जाता है।

इनको सद्गुण कहा जा सकता है। इन सद्गुणों के साथ मानव सामाजिक होता है। समझदारी को प्रमाणित करना ही विद्वता है। विद्वान जो कुछ भी है अस्तित्व सहज (वर्तमान) विद्यमान मानव ही होता है। हर एक इकाई में अपने में शोध होता रहता है लेकिन विद्वता की बात केवल मानव में ही होती है।

अभी चार क्रियायें मानव में बतायी गयी जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना। इनमें से पहचानना, निर्वाह करना हर वस्तु में समाहित है। हर वस्तु दूसरी वस्तु को पहचान रही है। तभी निर्वाह कर रही है। एक परमाणु अंश भी दूसरे को पहचानता है फलस्वरूप वह व्यवस्था में रहते हैं। एक दूसरे के साथ रह पाते हैं, कार्य कर पाते हैं। फलस्वरूप सहअस्तित्व में प्रकाशित हो पाते हैं। इसी प्रकार अणु से लेकर ग्रह

Page 33 of 95
29 30 31 32 33 34 35 36 37