और वर्तमान में समृद्धि, समाधान, अभय, सहअस्तित्व का प्रमाणीकरण करना। यही जागृतिपूर्वक प्रमाणित होने वाली विधि है। यह मानव मात्र के लिए वरेण्य है। वरेण्य का तात्पर्य सर्वोपरि वर से है। वर का तात्पर्य स्वीकारा हुआ का प्रमाणीकरण और उसकी निरंतरता है। इस प्रकार आवर्तनशीलता मानव सहज स्वीकृति है ही। इसके प्रमाणीकरण और निरंतरता के लिए अनुभव मूलक विधि से प्रस्तुत अवधारणाएँ मानव के लिए उपयोगी हो सकेगा।
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