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सहित सार्वभौम व्यवस्था, अखण्ड समाज सूत्रों में सूत्रित होना ही है। यही मानव का सुखद, सुंदर, समाधानपूर्ण कार्य है।

भूमि: स्वर्गताम् यातु, मनुष्यो यातु देवताम् ।

धर्मो सफलताम् यातु, नित्यम् यातु शुभोदयम् ॥

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