- 3) अस्तित्वमूलक मानव केन्द्रित चिंतन में अनुभव प्रमाण सहज आधार पर शोध कार्य का अधिकार।
- 4) आवश्यकता से अधिक उत्पादन करने का अधिकार।
- 5) न्याय पूर्वक जीने का अधिकार।
- 6) समाधान पूर्वक जीने का अधिकार।
- 7) सहअस्तित्व में जीने रहने का अधिकार।
- 8) मानव लक्ष्य, जीवन मूल्य को प्रमाणित करने का अधिकार रहेगा।
- 9) ग्राम परिवार सभा अपने वैभव को प्रमाणित करने के लिए समितियों का मनोनयन पूर्वक गठित करने का अधिकार।
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- 1) परिवार ग्राम मोहल्ला परिवार सभा से मनोनीत समितियों व सभाओं में कार्य व भागीदारी करता हुआ हर नर-नारी में, से, के लिए मानवत्व सहज समान अधिकार है।
ग्राम मोहल्ला में हर मानव में मौलिक अधिकारों का वैभव
परिवार मूलक स्वराज्य कार्य व्यवस्था स्वरूप
स्वरूप
मानवीय शिक्षा संस्कार सुलभता, न्याय सुरक्षा सुलभता, उत्पादन कार्य सुलभता, विनिमय कोष सुलभता, स्वास्थ्य संयम सुलभता, यही सार्वभौम व्यवस्था स्वरूप अखण्ड समाज के अर्थ में ही सार्थक होता है।
व्यवस्था
उपयोगिता-पूरकता सहज मानवीयता पूर्ण आचरण वैभव को दश सोपानीय व्यवस्था में, से, के लिए प्रमाणित करने का कार्यक्रम-
- 1) जागृति पूर्वक वर्तमान में विश्वास, भविष्य में आवश्यकता को प्रमाणित करना व्यवस्था है।
- 2) हर नर-नारी में, से, के लिये मानवीयता पूर्ण आचरण ही समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी है। यह दश सोपानीय स्वराज्य व्यवस्था में, से, के लिए अभिव्यक्ति है।
स्वराज्य = अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था परंपरा के रूप में वैभव यही सर्वशुभ कार्यक्रम है। जागृत मानव परंपरा सहज वैभव।