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भाग – आठ

ग्राम/मोहल्ला व्यवस्था

8.1 स्वरूप व निर्वाचन :-

ग्राम का प्रत्येक परिवार दस (10) व्यक्तियों के स्वरूप में गण्य होगा। यदि किसी परिवार में उस से कम व्यक्ति हैं तो वह अपने परिवार के निकटस्थ, अन्य परिवारों से मिलकर, एक परिवार सभा का गठन करेंगे। परिवार का प्रत्येक सदस्य युवा व वयस्क सम्मिलित रुप में परिवार सभा का गठन करेंगे। परिवार सभा के सब सदस्य संयुक्त रुप से एक सम्मति से व्यक्ति को समाधान, समृद्धि सहित उपयोगिता के आधार पर परिवार समूह सभा के लिए निर्वाचित करेंगे। जो “सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान” ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्न रहेगा और उत्पादन कार्य में सहायक रहेगा। अखण्ड समाज व्यवस्था सूत्र−व्याख्या में पारंगत रहेगा, वस्तु विद्या में सर्वाधिक पारंगत होंगे ।

इस प्रकार 10 परिवारों से निर्वाचित दस समझदार सदस्य एक ‘परिवार समूह सभा’ का गठन किया जायेगा। ऐसे प्रत्येक 10 “परिवार समूह सभा” में से एक एक व्यक्ति को, ग्राम सभा के लिए निर्वाचित करेगा। इसी प्रकार 10 परिवार समूहों से निर्वाचित 10 सदस्य एक ग्राम सभा का गठन करेंगे, जिसमें सभी दस सदस्यों का समानाधिकार रहेगा। यह सभा में समझदार परिवार का संयुक्त वैभव रुप में रहेगा। सामान्यत: सौ परिवार मिलकर एक “ग्राम स्वराज्य सभा” गठन करेंगे। जिसमें 10 निर्वाचित सदस्य होंगे। यदि किसी ग्राम में 100 (एक सौ) परिवार से ज्यादा जनसंख्या है तो उसी 10 के गुणांक में उस ग्राम सभा के सदस्य होंगे।

उदाहरण के लिए यदि गाँव की जनसंख्या 2000 (दो हजार) है तो उस “ग्राम सभा” में 20 सदस्य होंगे।

8.2 ग्राम सभा से विश्व राज्य सभा का निर्वाचन :-

कालांतर में उपर्युक्त व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक ग्राम सभा के निर्वाचित सदस्य अपने दस सदस्यों में से एक सदस्य को, “ग्राम समूह सभा” में, ग्राम समूह सभा के दस सदस्य में से एक को “क्षेत्र सभा के लिए” क्षेत्र सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य “मंडल सभा के लिए”, मंडल सभा के 10 सदस्यों में से एक सदस्य को “मंडल समूह सभा के लिए”, मंडल समूह सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “मुख्य राज्यसभा के लिए”, मुख्य राज्य सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “प्रधान राज्य सभा के लिए” व

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