प्रस्तावना में प्रयुक्त शब्दों की परिभाषा
1) मानव :-
- 1) मानव चेतनापूर्वक मनाकार को साकार करने वाला, मन:स्वस्थता प्रमाणित करने वाला है।
- 2) हर मानव जड़-चैतन्य का संयुक्त साकार रूप है।
- 3) सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन जागृति क्रम, रासायनिक और भौतिक रचना-विरचना का दृष्टा है। हर समझदार मानव धीरता, वीरता, उदारता, दया, कृपा, करूणा पूर्वक है।
2) मानवत्व :-
- 1) मानवीय स्वभाव सर्वतोमुखी समाधान सहज अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा और प्रकाशन।
- 2) मानवीय मूल्यों, चरित्र, नैतिकता को जानने, मानने, पहचानने, निर्वाह करने की क्रिया।
- 3) सहअस्तित्व में जागृत मानव अनुभव मूलक पद्धति से विचार शैली और जीने की कला सहज प्रमाण।
- 4) हर नर-नारी व्यवहार में सामाजिक, व्यवसाय में स्वावलंबी, विचार में समाधानित, अनुभव में प्रमाणिकता को अभिव्यक्त, संप्रेषित, प्रमाणित करने की क्रिया।
3) मानवीयता पूर्ण :-
- 1) जागृत मानव अपने गुण, स्वभाव, धर्म सहज समझदारी सहित सहअस्तित्व में, से, के लिए प्रमाण।
- 2) ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सहित कार्य, व्यवहार, व्यवस्था में भागीदारी।
4) मूल्य :-
- 1) मौलिकता; मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी मानव में ही प्रगट होना।
- 2) प्रत्येक इकाई में निहित मौलिकता।
- 3) जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य, शिष्ट मूल्य, वस्तु मूल्य (30 कुल मूल्य) उपयोगिता एवं कला की सिद्ध मात्रा, उत्पादित वस्तु मूल्य, स्थापित संबंधों में निहित स्थापित मूल्य, जिसका अनुभव में, से, के लिए अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा से प्रकाशित होने वाले शिष्ट मूल्य।
5) चरित्र :-
स्वधन, स्वनारी-स्वपुरुष, दयापूर्ण कार्य-व्यवहार विन्यास।