1.0×

मानव लक्ष्य :- समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में प्रमाण परंपरा है। यही अनुभव सहज प्रमाण है।

अनुभव प्रणाली मानवीय शिक्षा सहज उद्देश्य में निहित है :-

भ्रम से निर्भ्रमता, जीव चेतना से मानव चेतना, अजागृति से जागृति, समस्या से समाधान, समुदाय से अखण्ड समाज, समुदाय राज्य से सार्वभौम राज्य, असत्य से सत्य, अन्याय से न्याय, अव्यवस्था से व्यवस्था, असंतुलन से संतुलन, आवेशित गति से स्वभाव गति, अभाव से भाव, अज्ञान से ज्ञान, विवेक, विज्ञान, विखण्डता से अखण्डता, विपन्नता से सम्पन्नता, संकीर्णता से विशालता, पराधीनता से स्वतंत्रता, भय से अभय, असत्य से सत्य चेतना में परिवर्तन, भोग मानसिकता से उपयोगी सदुपयोगी प्रयोजनशील मानसिकता, व्यापार लाभोन्मादी मानसिकता से लाभ-हानि मुक्त विनिमय प्रवृत्ति, मानव चेतना सहज समझदारी में पारंगत प्रमाण परंपरा ही मानव परंपरा है। यही जीव चेतना के स्थान पर मानव चेतना है। यह चेतना विकास मूल्य शिक्षा संस्कार से सार्थक होता है।

प्रलोभन भय के स्थान पर यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता सहज मौलिक, मौलिकता, जागृत मानव में न्याय, धर्म, सत्य सहज पहचान वर्तमान में विश्वास।

7.1 (2) मानसिकता :- अनुभव मूलक प्रामाणिकता सहज प्रवृत्ति।

  1. 1) वर्चस्व जागृति सहज मानसिकता पूर्वक मूल्यांकन = संबंधों का निर्वाह करना समझदारी में, से, के लिए प्रमाण।
  2. 2) ज्ञान, विवेक, विज्ञान ही समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी व आचरण में श्रेष्ठता का सम्मान प्रतिष्ठा।
  3. 3) प्रतिभा अनुभव मूलक प्रमाणों को प्रमाणित करने की गति।
  4. 4) आहार-विहार-व्यवहार के आधार पर व्यक्तित्व।
  5. 5) व्यवहार में सामाजिक, अखण्ड समाज सूत्र व्याख्या के रूप में आचरण।
  6. 6) व्यवसाय (उत्पादन कार्य) में स्वावलम्बन सम्पूर्ण वर्चस्व है।

इस तरह सदा हर नर-नारी मूल्यांकन करने में समर्थ रहेंगे ही। ऐसी अर्हता मानवीय शिक्षा परंपरा में, से, के लिए सम्पन्न व सार्थक होता है।

हर नर-नारियों में, से, के लिए मूल्यांकन का आधार उपरोक्त बिन्दु है।

मूल्यांकन का उद्देश्य :- व्यवहार में सामाजिक, परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन में स्वावलम्बन पूर्वक समृद्धि सहित सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी के अर्थ में है।

Page 70 of 212
66 67 68 69 70 71 72 73 74