1.0×

मानवीयतापूर्ण संविधान सहअस्तित्व सहज गति प्रतिष्ठा है।

मानवीयतापूर्ण आचरण मूल्यांकन परस्परता में संविधान की धारक-वाहकता है।

मानवीयतापूर्ण संस्कृति समाज गति में स्पष्ट होता है।

मानवीयतापूर्ण सभ्यता व्यवस्था गति में स्पष्ट है।

7.2 (1) न्याय

संबंधों सहज अनुबंध मूल्य निर्वाह करने में प्रतिज्ञा उपयोगिता-पूरकता विधि से पहचान, मूल्यों का निर्वाह फलस्वरूप मानव संबंधों में परस्पर तृप्ति, मानवेत्तर प्रकृति सहज संबंधों में संतुलन, अखण्ड समाज दश सोपानीय व्यवस्था, सार्वभौम - सर्व मानव स्वीकृत अथवा स्वीकृति योग्य है।

सहअस्तित्व संबंध

भौतिक, रासायनिक, जागृत-जीवन क्रिया का संबंध पूर्वक मानव संबंध सार्थक प्रयोजन सहज स्थिति गति है।

7.2 (2) सुरक्षा

जागृत मानव सहज तन-मन-धन रुपी अर्थ का सदुपयोग विधि से ही सुरक्षा प्रमाणित होता है। हर नर-नारी जागृति पूर्वक अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था सूत्र व्याख्या परंपरा में होना सार्वभौम न्याय सुरक्षा है।

7.2 (3) न्याय-सुरक्षा सार्थकता मूल्यांकन-विधि

  1. 1) सहअस्तित्व में हर मानव जागृति सहज वर्तमान ही ज्ञान सम्मत इच्छा-क्रिया व व्यवहार प्रमाण न्याय सुरक्षा है।
  2. 2) सहअस्तित्व में जागृति सहज प्रमाण परंपरा ही संबंध, मूल्य, मूल्यांकन, परस्पर तृप्ति संतुलन न्याय सुरक्षा है।
  3. 3) सहअस्तित्व में, से, के लिए विकास क्रम, भौतिक-रासायनिक क्रिया, जीवन क्रियाकलाप, जीवनी क्रम जागृति क्रम, जीव चेतनावश भ्रमित मानव क्रिया, जागृति मानव चेतना सहज मानव व्यवहार कार्य को समझने के उपरान्त ही दृष्टा पद प्रमाणित होता है।
  4. 4)

सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन ज्ञान

जीवन ज्ञान

सम्पूर्ण ज्ञान

मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान

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