का ठौर मिला। विगत प्रयास से हमने जो भी पाया उसे अध्यवसायी विधि से मानव को सौंपना चाहा। इसी क्रम में यह एक प्रयास है।
अब तक आपको इंगित हो गया होगा कि सहअस्तित्व ही परम सत्य है। सहअस्तित्व में जीना ही हमारा परम धर्म है यह समझ में आता है तो उसके लिए सारी समझदारी समीचीन है। यह बहुत सुलभ है। मेरे हिसाब से झूठ ज्यादा कठिन है सच्चाई में जीना ज्यादा आसान है। ज्यादा सुगम है मैं जीकर देखा हूँ। पहले जब प्रश्नों से घिरा था जीने में कितना दिक्कत होता था। जब समाधान मिल गया तब प्रश्नों से मुक्त हो गया और जीना सुगम हो गया। यह बात आपको भी ठीक लगती है तो हमारा विश्वास बढ़ेगा ही। इस बात को साथियों ने देख लिया है आप भी चाहते तो आप भी जाँचिए। जाँचना तुलन से शुरू होता है न्याय सम्मत व्यवहार से शुरू होता है। क्या हम संबंधों को समझे हैं या संबंधों का हम निर्वाह करते हैं, संबंधों में निहित मूल्यों का मूल्यांकन कर पाते हैं, उभय तृप्ति की जगह आ पाते हैं या नहीं आ पाते हैं ये जाँचने का मुद्दा है। यदि ये जाँचना शुरू करते हैं तो प्रिय, हित, लाभ में निश्चयता मिलती नहीं। हमको जो प्रिय लगा, आपको ठीक नहीं लगेगा। हमको जो हितकारी लगा आपको नहीं लगेगा जितने लाभ से आप संतुष्ट हुए उतने से हम नहीं होंगे। इसी में सभी मानव फँसे हैं। इस तरह प्रिय में, हित में, लाभ में समानता का आधार नहीं हो सकता।
इससे छूटने के लिए क्या किया जाए इस तीन तुलन (प्रिय, हित, लाभ) के बदले दूसरा तुलन (न्याय, धर्म, सत्य) रखा हुआ है। न्याय दृष्टि से जब हम तुलन करने लगते हैं उसे कहते हैं, चिंतन। न्याय हमको संबंधों को व्यवस्था के अर्थ में पहचानने के बाद ही समझ में आता है। संबंध पहचानने में आ गया फलस्वरूप मूल्य निर्वाह होने लगा, उसका फलवती स्वरूप है मूल्यांकन हुआ और उभयतृप्ति होने लगी इसका नाम है न्याय। न्याय वही है जो दोनों पक्षों को संतुलित रूप से संतुष्ट कर सके। यदि दोनों पक्ष संतुष्ट नहीं हैं तो न्याय नहीं है। इस संबंध में हमसे कोई पूछा कोई अपराध या गलती करता है उसका क्या किया जाये? अपराध/गलती कोई इसलिए करता है क्योंकि उसको हम समझदार बनाते नहीं है। आप अपराधी को लेकर क्यों चलते हो, सही आदमी को लेकर क्यों नहीं चलते हो। बहुत से आदमी ऐसे हैं जो कोई अपराध नहीं करते हैं उनके साथ हमारा कोई समस्या नहीं है। परस्पर हम मूल्यांकन करते हैं और उभयतृप्ति पाते ही हैं। इसको कैसे भुलाया जाये। एक तो यह प्रमाण आपके सामने है आपको इसकी जरूरत है कि नहीं। मैं समझता हूँ सभी लोग इसी की बाट देखते बैठे हैं। मुझमें आप में इतना ही अंतर है मैं दर्दवश एक कदम आगे बढ़ गया। मुझको यह चीज हासिल हो गई इसको मैं सत्यापित कर पाता हूँ। समझने के