1.0×

बौद्धिक रूप में ज्ञान-विवेक-विज्ञान सम्मत विधि से किया गया समाधान परंपरा।

व्यवहार रूप में अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था अर्थात् दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी सहजता का घोषणा।

(3).आचरण सर्वशुभ होने का घोषणा

तात्विक रूप में :- मानवत्व सहित व्यवस्था सहज प्रमाण।

बौद्धिक (तार्किक) रूप में :- ज्ञान-विवेक-विज्ञान सम्मत अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन।

व्यवहार रूप में :- समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण परंपरा घोषणा।

(4).कार्य सफलता का घोषणा

कार्य :- तात्विक रूप में कायिक-वाचिक-मानसिक व कृत-कारित-अनुमोदित भेदों से है।

कार्य :- तार्किक रूप में उपयोगिता, सदुपयोगिता, प्रयोजनीयता परंपरा में सार्थक होने का घोषणा।

कार्य :- व्यवहारिक रूप में नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, समाधान, सत्य सहज प्रमाण परंपरा होने का घोषणा।

(5).

मानवत्व :- सामाजिक अखण्डता के अर्थ में सूत्र व्याख्या।

समाधान :- सार्वभौमता के अर्थ में सूत्र व्याख्या।

न्याय :- संबंधों के अर्थ में सूत्र व्याख्या।

सत्य :- अनुभव प्रमाण सहज सूत्र व्याख्या, परंपरा सहज समाज गति के अर्थ में प्रमाण वर्तमान होने का घोषणा।

(6).

जागृति सहज प्रमाण परंपरा सुलभ होने का घोषणा :-

अनुभव प्रमाण परम प्रमाणों में

प्रमाणित करने कराने करने के लिए

संकल्प प्रमाणित करने

सहमत होने सहज बोधपूर्ण

का परंपरा वर्तमान प्रवृत्ति

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