(9).
हर परिवार का अपने-अपने निवास व दरवाजा सड़क को पवित्र एवं हरियाली शोभनीय रूप में बनाये रखना कर्त्तव्य।
आये हुए आगन्तुकों, अपरिचितों का परिचय प्राप्त करना कर्त्तव्य।
आगंतुक :- अपरिचित व्यक्ति की उपस्थिति अपेक्षाओं के अनुसार में पहचानना, मार्गदर्शन।
अभ्यागत :- अभ्युदयार्थ आमंत्रित नर-नारी का आगमन, सम्मान विधि से स्वागत करना।
अतिथि :- आतिथ्यार्थ आवाहित नर-नारियों का आगमन में सेवा, सम्मान विधि से स्वागत करना।
आतिथ्य :- शिष्टता सहित अपने वस्तु व सेवा का अर्पण-समर्पण।
(10) मानवीयता सर्वसुलभ होने का घोषणा
हर परिवार मानवीयता पूर्ण आचरण, संबंध-संबोधन, मूल्य, नैतिकता, चरित्र सहज अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन सहित आहार-आवास-अलंकार संबंधी वस्तुओं से सम्पन्न रहना अधिकार स्वत्व स्वतंत्रता
परिवार = परस्पर सुख-शान्ति सहज प्रमाण में, से, के लिये समाधान, समृद्धि पूर्वक प्रमाण परंपरा प्रस्तुत करना
(11) जागृति सुलभता सहज घोषणा
- ● हर जागृत मानव परिवार में शरीर सहज आयु अनुसार श्रम व कार्य करना, यह स्वयंस्फूर्त होना, स्वत्व-स्वतंत्रता-अधिकार के आधार पर है।
- ●
शिशु काल तीन से पाँच वर्ष तक | 3 से 5 वर्ष तक |
कौमार्य अवस्था पाँच से बारह वर्ष तक | 5 से 12 वर्ष तक |
युवावस्था बारह से बीस वर्ष तक | 12 से 20 वर्ष तक |
प्रौढ़ावस्था | 20 से 30 वर्ष तक |
परिपक्वावस्था | 30 से 70 वर्ष |
परिपक्वावस्था सत्तर वर्ष के अन्तर वृद्धावस्था में निहित ज्ञान विवेक विज्ञान में भागीदारी में प्रखर होना, शरीर में क्रमिक शिथिलता | 70 वर्ष के अनन्तर |