व्यवहारिक = जागृत मानव परंपरा में, से, के लिए कायिक, वाचिक, मानसिक व कृत, कारित, अनुमोदित भेदों से परंपरा प्रमाणित होना ही है।
4.4 न्याय
न्याय = मानव सम्बंधों में मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, परस्पर उभय तृप्ति, संतुलन।
तात्विक = समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व के अर्थ में अध्ययन, उत्पादन, कार्य-व्यवहार करना।
बौद्धिक = संबंधों की पहचान, मूल्यों का निर्वाह करने का संकल्प, मूल्यांकन स्वीकृति, उभय तृप्ति सहज स्वीकृति।
व्यवहारिक = परिवार संबंधों का निर्वाह, परिवार व्यवस्था का निर्वाह, समाधान-समृद्धि प्रमाण सहित सार्वभौम व्यवस्था सहज परंपरा।
4.5 व्यवस्था
तात्विक = सहअस्तित्व में अनुभव सहज विश्वास पूर्वक वर्तमान में दृढ़ता व निश्चयता पूर्वक अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन।
बौद्धिक = सर्वतोमुखी समाधान पूर्वक मानवत्व सहज अभिव्यक्ति-सम्प्रेषणा को प्रमाणित करना।
व्यवहारिक = समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी पूर्वक विधिवत् समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में, से, के लिए प्रमाणित होना, रहना, करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।
4.6 स्वराज्य
- ● मानवत्व सहित सुनिश्चित आचरण सार्वभौमता के अर्थ में वैभव,
- ● मानवत्व रूपी आचरण सहित व्यवस्था सहज वैभव,
- ● स्वयं में विश्वास सहज वैभव,
- ● श्रेष्ठता का सम्मान सहज वैभव,
- ● प्रतिभा सहज वैभव,
- ● सर्वतोमुखी समाधान संपन्न व्यक्तित्व सहज वैभव,
- ● मानवीयता पूर्ण आहार-विहार-व्यवहार में स्पष्टता सहज वैभव, (व्यक्तित्व)