1.0×

व्यवहारिक = सर्व मानव में, से, के लिए मानवीयता पूर्ण आचरण व्यवस्था सहज प्रमाण परंपरा।

मानव परंपरा में सर्व शुभ कार्य व्यवहार और व्यवस्था क्रम ही सर्व शुभ रूपी समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण सुलभता है। राष्ट्र का प्रमाण वर्तमान में सर्वतोमुखी समाधान और निरंतरता ही राष्ट्रीयता है। मानवत्व सहित व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी।

4.6 (6) राष्ट्रीय-चरित्र

  • मानवीय शिक्षा-संस्कार सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • न्याय-सुरक्षा सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • उत्पादन-कार्य सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • विनिमय-कोष सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • स्वास्थ्य-संयम सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • मानवीयता पूर्व आचरण सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • परस्पर निश्चित संबंधों, निश्चित मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन सुलभता प्रमाण परंपरा,
  • परस्पर तृप्ति समाधान, समृद्धि, वर्तमान में विश्वास (अभय), सहअस्तित्व में प्रमाण सहज परंपरा,
  • नैसर्गिक और ऋतु संतुलन सुलभता में भागीदारी परंपरा राष्ट्रीय चरित्र है। जागृत मानव परंपरा में सार्वभौम व्यवस्था सहज विधि से मानव प्राकृतिक संतुलन सहित सूत्र व्याख्या का जिम्मेदार है।

4.6 (7) मूल्य

  1. 1. जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य, शिष्ट मूल्य, भौतिक रासायनिक रूपी वस्तु मूल्य सहज यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता पूर्वक उपयोगिता पूरकता रूप में वैभव।
  2. 2. मौलिकता सहज कार्य-व्यवहार व निरंतरता
  • पदार्थावस्था में परिणामानुषंगीय यथास्थिति पूरकता व उपयोगिता है।
  • प्राणावस्था में बीजानुषंगीय यथास्थिति पूरकता व उपयोगितायें हैं।
  • जीवावस्था में वंशानुषंगीय विधि से यथास्थिति पूरकता व उपयोगितायें अध्ययन गम्य है।
Page 25 of 212
21 22 23 24 25 26 27 28 29