1.0×

बौद्धिक = जागृति सहज प्रमाण परंपरा ही न्याय सुरक्षा है।

व्यवहारिक = ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार, परिवार व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी सहज रूप में न्याय सुरक्षा है।

6.4 स्वास्थ्य संयम का अधिकार

स्वास्थ्य-संयम

तात्विक = स्वस्थ शरीर अर्थात् मानव परंपरा में मन:स्वस्थता, समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी समेत जीवन ही ज्ञान, विवेक, विज्ञान पूर्वक अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा को मानव परंपरा में प्रमाणित करने योग्य शरीर एवं क्रियाकलाप।

बौद्धिक = स्वास्थ्य-संयम अर्थात् संज्ञानीयता पूर्वक संवेदनायें नियंत्रित रहती है।

व्यवहारिक = स्वास्थ्य-संयम अर्थात् अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करने योग्य शरीर एवं क्रियाकलाप।

6.5 मानवीय शिक्षा-संस्कार का अधिकार

तात्विक अर्थ में मानवीय शिक्षा = अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज, ‘मध्यस्थ दर्शन’ सहअस्तित्ववादी विधि पूर्वक चेतना विकास मूल्य शिक्षा अध्ययन।

बौद्धिक अर्थ में मानवीय शिक्षा = ज्ञान, विवेक, विज्ञान सहज शिक्षा संस्कार परंपरा।

व्यवहारिक अर्थ में मानवीय शिक्षा = अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करने में प्रतिबद्धता पूर्ण शिक्षा।

तात्विक अर्थ में संस्कार = जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य एवं शिष्ट मूल्य का धारक-वाहकता।

बौद्धिक अर्थ में संस्कार = शिक्षा संस्कारों में पारंगत रहना, करना और कराने के लिए सहमत रहना।

व्यवहारिक अर्थ में संस्कार = हर उत्सवों में मानव लक्ष्य, जीवन मूल्य संगत विधि से व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी की दृढ़ता व स्वीकृति को संप्रेषित, प्रकाशित करना, कराना, करने के लिए सहमति होना, जिसमें गीत, संगीत, वाद्य, नृत्य, साहित्य, कला वैभव समाहित रहना।

सार्वभौम व्यवस्था विधि से ही मानवीय शिक्षा-संस्कार का लोकव्यापीकरण होता है। यही मौलिक अधिकार का स्त्रोत है।

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