- 3. मानवीयता पूर्ण परंपरा पाँच आयामी व्यवस्था में भागीदारी करने में हर जागृत नर-नारी स्वतंत्र है। यह मौलिक अधिकार है।
- 4. हर जागृत नर-नारी को तन-मन-धन रूपी अर्थ का सदुपयोग व सुरक्षा करने की स्वतंत्रता है। यह मौलिक अधिकार है।
- 5. हर जागृत नर-नारी मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी करने की स्वतंत्रता है। यह मौलिक अधिकार है।
6.2 स्वत्व का अधिकार
स्वत्व
- 1. ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सहित परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन जागृत मानव में, से, के लिए स्वत्वता है। यह मौलिक अधिकार है।
- 2. हर जागृत नर-नारी में, से, के लिये नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, धर्म, सत्य सहज रूप में स्वत्व है। यह मौलिक अधिकार है।
- 3. हर जागृत नर-नारी में, से, के लिये सहअस्तित्व रूपी सत्य, सर्वतोमुखी समाधान रूपी मानव धर्म सूत्र-व्याख्या, संबंध व मूल्य चरित्र नैतिकता सहज निर्वाह रूपी न्याय स्वत्व है। यह मौलिक अधिकार है।
स्वत्व में विश्वास
- ● सहअस्तित्व सहज अस्तित्व में विश्वास
- ● सहअस्तित्व नित्य वर्तमान होने में विश्वास
- ● जानने, मानने में विश्वास
- ● विकास क्रम में विश्वास
- ● विकास सहज जीवन में विश्वास
- ● जीवन जागृति में विश्वास
यही स्वयं में विश्वास, यही अनुभव मूलक अभिव्यक्ति है। ये सब मौलिक अधिकार है।
सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन ज्ञान में विश्वास, जीवन सहज स्वरूप ज्ञान में विश्वास, जीवन क्रिया, लक्ष्य ज्ञान, मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान में विश्वास आधारभूत क्रिया है।