1.0×

6.5 (4) पूर्णता

क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता रूपी जागृति सहज अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन यह मौलिक अधिकार है।

6.5 (5) संबंध प्रयोजन

1. माता-पिता

पोषण एवं संरक्षण सहज प्रयोजनों को जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

2. भाई-बहन

अभ्युदय के अर्थ में मूल्य निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

3. पुत्र-पुत्री

अभ्युदय नि:श्रेयस के अर्थ में संबंध निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

4. पति-पत्नी

परिवारमूलक स्वराज्य व्यवस्था में भागीदारी करने के अर्थ में संबंध निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

5. गुरु-शिष्य

जीवन जागृति के अर्थ में, ज्ञान, विवेक, विज्ञान सहज पारंगत प्रमाणिकता के अर्थ में संबंध निर्वाह निरंतरता मौलिक अधिकार है।

6. साथी-सहयोगी

कर्त्तव्य दायित्वों को निष्ठापूर्वक निर्वाह करने के अर्थ में संबंधों का निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

7. मित्र-मित्र

अभ्युदय, सर्वतोमुखी समाधान सहज प्रामाणिकता सहित अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करने के अर्थ में संबंध निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

सभी संबंधों को पूरकता-उपयोगिता सहज प्रयोजनों के अर्थ में जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना मौलिक अधिकार है।

संबंध सहज पहचान -

  • पोषण प्रधान संरक्षण के रूप में माता का दायित्व-कर्तव्य के रूप में प्रमाण।
  • संरक्षण प्रधान पोषण रूप में पिता का दायित्व-कर्त्तव्य प्रमाण मौलिक अधिकार है।

पोषण-संरक्षण = शरीर पोषण, स्वास्थ्य संरक्षण, संस्कारों का पोषण-संरक्षण, भाषा का पोषण-संरक्षण, स्वच्छता का पोषण-संरक्षण, परिवार व्यवस्था का पोषण-संरक्षण। व्यवहार-व्यवस्था का पोषण-संरक्षण, ज्ञान, विवेक, विज्ञान सहज सूत्र व्याख्या रुप में अखण्डता सार्वभौमता वैभव का पोषण संरक्षण परंपरा के रुप में होना।

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