मानवीयतापूर्ण परंपरा, दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी यह सब मौलिक अधिकार है।
6.5 (1) पर्यावरण सुरक्षा
धरती के वातावरण अर्थात् वायु मंडल को पवित्र रखने, धरती को पवित्र, ऋतु संतुलन सुरक्षित रखने, वन खनिज को संतुलित बनाये रखने में प्रमाणित होना यह मौलिक अधिकार है।
सर्व मानव मानवीयता पूर्ण आचरण सम्पन्न रहना ही समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व परंपरा के रूप में वर्तमान प्रमाण मौलिक अधिकार है।
6.5 (2) मानवीय व्यवसाय
हर नर-नारी स्वयं में व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी क्रम में परिवार मूलक स्वराज्य, राज्य वैभव, आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना यही समृद्धि का सहज सूत्र है। यह मौलिक अधिकार है।
उत्पादन मूल्य श्रम नियोजन होने के आधार पर उपयोगिता सुंदरता मूल्य को श्रम मूल्य के रूप में निश्चयन करना मौलिक अधिकार है।
मानवीयतापूर्ण व्यवहार मौलिक अधिकार है।
6.5 (3) मानवीय व्यवहार
हर जागृत मानव मनाकार को साकार करने मन:स्वस्थता को प्रमाणित करने के क्रम में दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी करना यह मौलिक अधिकार है।
मानव संबंध व मूल्यों का निर्वाह व मूल्यांकन पूर्वक परस्पर तृप्त रहना मौलिक अधिकार है।
मानवेत्तर प्रकृति यथा पदार्थावस्था, प्राणावस्था, जीवावस्था का संबंध का निर्वाह करना, संतुलन सहित नियम, नियंत्रण को प्रमाणित करना, जिसके लिए उत्पादन यथा -
सामान्य आकाँक्षा संबंधी वस्तुऐं | महत्वाकाँक्षी संबंधी वस्तुऐं |
आहार, आवास, अलंकार | दूरगमन, दूरश्रवण, दूरदर्शन |
उक्त दोनों प्रकार के वस्तुओं के उत्पादन में भागीदारी यह मौलिक अधिकार है।
पूर्णता के अर्थ में अनुबंध प्रमाण, संकल्प, प्रतिज्ञा, स्वीकृतियों, सहित आचरण, संबंध निर्वाह में मौलिक अधिकार है।