1.0×

20) अखण्ड समाज :-

    1. 1) सहअस्तित्व में समाधान, समृद्धि, अभय सम्पन्न क्रियापूर्णता व आचरणपूर्णता सहित सहअस्तित्व सहज परंपरा।
    2. 2) धार्मिक (सामाजिक), आर्थिक, राजनीतिक क्रिया का अविभाज्य रूप में मानव परंपरा।
    3. 3) मानव जाति में एक समान होने का ज्ञान, स्वीकृति व प्रमाण परंपरा।

21) सार्वभौम :-

अस्तित्व सहज, विकास सहज, जीवन सहज, जीवन जागृति सहज, रासायनिक और भौतिक रचना सहज प्रक्रिया एवं निरंतरता।

22) व्यवस्था :-

    1. 1) विश्वास पूर्वक अस्तित्व में वर्तमान होने में दृढ़ता व निश्चयता का अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन।
    2. 2) सर्वतोमुखी समाधान पूर्वक मानवत्व सहज अभिव्यक्ति - सम्प्रेषणा को प्रमाणित करना।
    3. 3) समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी पूर्वक विधिवत् समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में, से, के लिए प्रमाणित होना।

23) प्रमाण :-

जागृत मानव अपने कायिक, वाचिक, मानसिक, कृत, कारित, अनुमोदित विधियों से अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन में समाधान रूप में व्यक्त होना।

24) प्रमाणित होना :-

प्रमाणित होने के रूप में, करने के रूप में, कराने के रूप में और करने के लिए सहमत होने के रूप में।

25) न्याय :-

    1. 1) मानवीयता के पोषण, संवर्धन एवं मूल्यांकन के लिए सम्पादित क्रियाकलाप।
    2. 2) संबंधों व मूल्यों की पहचान व निर्वाह क्रिया।
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