13) कोण :-
मानव परंपरा में ही जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना सहज दृष्टिकोण-प्रमाण वर्तमान। प्रत्येक एक अनेक कोण सम्पन्न।
14) परिप्रेक्ष्य :-
- 1) व्यक्ति, परिवार, राष्ट्र, अखण्ड समाज एवं दशसोपानीय सार्वभौम व्यवस्था।
- 2) व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र, अन्तर्राष्ट्र।
15) दिशा :-
- 1) ह्रास-विकास। हर कोण अपने में दिशा।
- 2) परस्पर इकाईयों अथवा ध्रुवों के आधार पर दृष्ट होने वाली कोणों को दिया गया नामकरण स्थिति-गति सहित दिशा।
- 3) विकास की ओर गति।
- 4) गन्तव्य की ओर गति।
16) देश :-
- 1) रचना विस्तार, रचना सहज अवधि व विस्तार।
- 2) धरती स्वयं में सीमित रचना विस्तार क्षेत्र।
17) काल :-
क्रिया की अवधि।
18) सुरक्षित :-
रूप, गुण, स्वभाव, धर्म सहज वर्तमान पूरकता सदुपयोग निरंतरता।
19) अखण्ड :-
प्रत्येक पद स्थिति-गति में एकात्मकता, एकरूपता, सामरस्यता।