6) नैतिकता :-
तन-मन-धन रूपी अर्थ का सदुपयोग, सुरक्षा एवं संसाधनों का उत्पादन।
7) सहज :-
- 1) स्वभाव गति के रूप में।
- 2) यथास्थिति के रूप में।
8) सहित :-
स्वभाव गति सहित, गुण सहित, स्वभाव-धर्म सहित, अवस्था भेदों सहित।
9) निर्वाह :-
जागृत मानव परस्परता में स्थापित मूल्यों का अनुभवपूर्ण व्यवहार करना।
10) मूल्यांकन :-
दृष्टापद एवं समझदारी सहज विधि से मानव स्वयं का और अन्य का गुण, स्वभाव, धर्म सहअस्तित्व सहज उपयोगिता पूरकता के आधार पर मूल्यांकन तथा मानवेत्तर प्रकृति सहज वस्तुओं का मात्रा और गति के आधार पर मात्रा और गुणों का आंकलन।
11) सम्पूर्ण अस्तित्व :-
- 1) सत्ता में संपृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति सम्पूर्ण अस्तित्व।
- 2) रूप, गुण, स्वभाव, धर्म सम्पन्न अविभाज्य वर्तमान रूप में इकाई सम्पूर्ण, हर वस्तु अपना आकार-आयतन-घन के रूप में वातावरण सहित सम्पूर्ण और गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता ।
12) आयाम :-
रूप, गुण, स्वभाव, धर्म।