उपरोक्त बैंक का गारन्टीदार राष्ट्रीय कृत सहकारी बैंक होगा जो आरंभ से उसे कार्यशील पूंजी व अन्य ऋण देगा, हानि की भरपाई करेगा। विनिमय कोष ही आगे अपने सदस्यों को ऋण देगा वह उत्पादित वस्तुओं के रूप में विनिमय बैंक का ऋण लौटा देगा।
विनिमय कोष शनै:-शनै: सरकारी बैंक से ली गई पूंजी को लौटाता रहेगा। इस तरह सरकारी बैंक के रूपये का ज्यादातर उपयोग होगा।
7.4 (3) विनिमय कोष कार्य समिति
आरंभ में ही मानवीय शिक्षा संस्कार सम्पन्न व्यक्ति विनिमय कोष को चलावेंगे। बाद में स्थानीय व्यक्ति जब व्यवहार शिक्षा व व्यवसाय शिक्षा में पारंगत हो जावेंगे तब वह उस बैंक को चलावेंगे।
सौ परिवार समूह के गाँव के लिए कम से कम तीन व्यक्ति विनिमय कोष को चलावेंगे। इसमें से एक व्यक्ति गाँव में उत्पादित वस्तुओं को अन्य बाजार में बेचेगा व अन्य बाजारों से आवश्यकीय वस्तुओं का क्रय कर विनिमय कोष में लाएगा। दूसरा व्यक्ति लेखा-जोखा व खातों की देख-रेख करेगा। तीसरा व्यक्ति सामान का विनिमय करेगा व उनको भंडार में रखने की व्यवस्था करेगा। आवश्यकता पड़ने पर अन्य व्यक्तियों को भी विनिमय कोष कार्य के लिए सभी मनोनीत पूर्वक नियत करेगा।
विनिमय कोष के काम-काज को सुगम बनाने के लिए कम्प्यूटर को प्रयोग में लाया जायेगा। कालान्तर में विनिमय कोष व्यवस्था पूरे राज्य व देश में स्थापित हो जाने पर ग्राम विनिमय कोष क्रम से ग्राम समूह क्षेत्र, मंडल, मण्डल समूह, मुख्य राज्य व प्रधान राज्य के विनिमय कोष समितियों के साथ आदान-प्रदान से जुड़ा रहेगा। “विनिमय कोष” संविधान के अनुसार कार्य करता रहेगा, जिसकी जिम्मेदारी विनिमय कोष समिति की होगी। जो समय-समय पर खातेदार सदस्यों की सामान्य बैठक बुलाकर, उनके सामने प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। सामान्य बैठक में बहुमत के आधार पर मार्गदर्शन निर्णय प्राप्त करेगा। सभी समितियों का कार्यकलाप सभा पटल में प्रस्तुत रहेगा।
7.4 (4) मूल्यांकन व्यवस्था
विनिमय कोष समिति के कार्य का मूल्यांकन ग्राम सभा करेगी व समय-समय पर उन्हें मार्गदर्शन देगी। कृषि उपज और प्रौद्योगिकी उपज में श्रम मूल्य के आधार पर मूल्यांकन-संतुलन को स्थापित करने वाली व्यवस्था रहेगी।