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  1. 11) नियंत्रण पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  2. 12) संतुलन पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  3. 13) न्याय पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  4. 14) स्थिति सत्य, वस्तु स्थिति सत्य व वस्तुगत सत्य विधि से जीना समाधान है।
  5. 15) सर्वतोमुखी समाधान को प्रमाणित करना सत्य पूर्ण है सर्वतोमुखी समाधान है।
  6. 16) अस्तित्व में अनुभव मूलक विधि से किया गया कार्य-व्यवहार समाधान है।
  7. 17) वीरता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार व्यवस्था सहज प्रमाण एवं समाधान है।
  8. 18) धीरता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार व्यवस्था सहज प्रमाण एवं समाधान है।
  9. 19) उदारता पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार व्यवस्था सहज प्रमाण एवं समाधान है।

12. समाधान

  1. 1) दयापूर्वक
  2. 2) कृपापूर्वक
  3. 3) करुणापूर्वक
  4. 4) नाम स्वीकृति को संबोधन अभ्युदय के अर्थ में सार्थक है।
  5. 5) जाति स्वीकृति (संस्कार) को मानव परिभाषा के अर्थ में सार्थक है।
  6. 6) धर्म स्वीकृति को सर्वतोमुखी समाधान अखण्ड समाज के अर्थ में सार्थक है।
  7. 7) शिक्षा पूर्वक स्वीकृति को, समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में पारंगत होने के अर्थ में सार्थक है।
  8. 8) व्यवहार-कार्य स्वीकृति को संबंधों की पहचान आवश्यकता सहित, मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, परस्परता में तृप्ति समाधान संतुलन के अर्थ में सार्थक है।
  9. 9) सर्वशुभ स्वीकृति को अभ्युदय सर्वतोमुखी समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण के अर्थ में सार्थक है।
  10. 10) स्वशुभ को सर्वशुभ में भागीदारी रहने के रूप में सार्थक है।
  11. 11) सच्चरित्र रूप के साथ स्वीकृति को संज्ञानीयता में नियंत्रित संवेदना के रूप में सार्थक है।
  12. 12) संज्ञानीयता सहज स्वीकृति को सहअस्तित्व सहज ज्ञान-विवेक-विज्ञान सहज रूप में सार्थक है।
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