3) रहस्यात्मक अध्यात्मवाद। अधिदैवीवाद व अधिभौतिकवाद।
1.6 पूर्ववर्ती शास्त्रों के रूप में
1) लाभोन्मादी अर्थशास्त्र।
2) भोगोन्मादी समाजशास्त्र।
3) कामोन्मादी मनोविज्ञान।
1.7 पूर्ववर्ती योजनाएँ
1) धर्मगद्दियों में पापियों को तारना।
2) स्वार्थियों को परमार्थी बनाना।
3) अज्ञानियों को ज्ञानी बनाना।
4) राजगद्दियों में सामुदायिक विकास योजना, कार्य योजना।
5) ग्राम विकास, खंड क्षेत्र विकास, सर्वजन सुविधा के लिए रोजगार योजना, कार्य योजनाएँ हैं।
6) रोजगार योजनाएँ स्वावलंबन के उद्देश्य से स्थापित हुई हैं। जिससे आर्थिक विषमता दूर होगी, ऐसी अभीप्सा समाई हुई है। आदर्शों को ध्यान में रखते हुए सभी समुदायों का उत्थान, सुविधा भोग, अति भोग, बहुभोग में रुचि निर्मित करने का प्रचार तंत्र सहित कार्यक्रमों को देखा गया है। फलस्वरूप गलती और अपराध बढ़े जबकि कामना है परस्पर भाईचारा में सुखपूर्वक रहे। इसके लिए मानव जीव चेतना से मानव चेतना में संक्रमित होना ही एकमात्र उपाय है। मानव कुल में सार्वभौम व्यवस्था, अखण्ड समाज में भागीदारी पूर्वक समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व के प्रति जागृति और प्रवृत्ति सहज होना उपाय है।