1.0×

प्रबंध = निश्चित समाधानवादी प्रयोजनों का सूत्र व्याख्या सहज वाङ्गमय।

वास्तविकता, सत्यता को, यथार्थता को इंगित कराने के लिए प्रयुक्त भाव, भंगिमा, मुद्रा, अंगहार सहित भाषा सहज सम्प्रेषण सार्थक होता है। यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता को स्पष्ट करने के लिए निर्मित वातावरण व परिस्थितियाँ भाषाकरण का स्रोत उत्प्रेरणा है।

चित्र कला = किसी पृष्ठ भूमि पर किया गया चित्रण।

मूर्ति-कला, शिल्प = सभी ओर से निश्चित आकृति के रूप में मिट्टी, पत्थर और धातुओं से की गई रचना।

कविता-संगीत-साहित्य = सर्वतोमुखी समाधान के लिए सुरीली शैली से प्रस्तुत सुरीली शब्द रचना व वाक्य अनुच्छेदों की रचना।

गद्य साहित्य = शब्द व वाक्य रचनायें सच्चाई, यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता सहज न्याय संबंध, समाधान श्रवण करने वालों को इंगित कराना।

6.5 (10) शास्त्र

  1. 1. जागृत मानव परंपरा में स्वानुशासित होने-रहने में, से, के लिए हर परिवार समाधान, समृद्धि, अभय पूर्वक वर्तमान में विश्वास, सहअस्तित्व प्रमाण सहज न्याय-समाधान रूप में जीने का अध्ययन सहज प्रमाण।
  2. 2. सहअस्तित्व सहज सामाजिक अखण्डता सहित सार्वभौम व्यवस्था का अध्ययन व भागीदारी सहज रूप में आचरण।
  3. 3. जागृत मानव परंपरा में जागृत मानसिकता प्रवृत्ति, अखण्ड सामाजिक संबंध मूल्य, मूल्यांकन, परस्परता में (उभयता में) तृप्ति, समाधान सहज निरंतरता का अध्ययन आचरण प्रमाण।
  4. 4. सार्वभौम व्यवस्था क्रम में तन-मन-धन रूपी अर्थ इनमें अविभाज्यता, वस्तु रूपी धनोपार्जन, विनिमय, उपयोग, सदुपयोग, प्रयोजन सहज सुनिश्चितता का अध्ययन सहज क्रियान्वयन।

6.5 (11) वाद-विचार

वाद-विचार = वाद-संवाद, आख्यान, व्याख्यान, उपदेश, भाषण, चर्चायें, भाव अर्थात् मूल्य सहज प्रयोजन तर्क संगत विधि से समाधान मानसिकता का अध्ययन, अभिव्यक्ति है।

चर्चा = चिंतन पूर्वक प्रयोजनों का स्पष्ट होना।

भाषण = मौलिकता, मूल्य, प्रयोजन सहज रूप में संप्रेषित होना।

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