15. नियति विधि :- सहअस्तित्व सहज विधि से ही :-
(i) अस्तित्व में चार अवस्थाएं
- पदार्थ अवस्था
- प्राण अवस्था
- जीव अवस्था
- ज्ञान अवस्था
और
(ii) अस्तित्व में चार पद
- प्राणपद
- भ्रांति पद
- देव पद
- दिव्य पद
(iii) और
- विकास क्रम, विकास
- जागृति क्रम, जागृति
तथा जागृति सहज मानव परंपरा ही मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी नित्य वैभव होना समझ में आया। इसे मैंने सर्वशुभ सूत्र माना और सर्वमानव में शुभापेक्षा होना स्वीकारा फलस्वरूप चेतना विकास मूल्य शिक्षा, संविधान, आचरण, व्यवस्था सहज सूत्र व्याख्या मानव सम्मुख प्रस्तुत किया हूँ।
भूमि स्वर्ग हो, मनुष्य देवता हो,
धर्म सफल हो, नित्य शुभ हो।
- ए. नागराज