के स्थान पर “आवर्तनशील अर्थ व्यवस्था” का विकल्प के रूप में प्रतिष्ठित होना स्वाभाविक रहा है, क्योंकि उन्मादों से होने वाली पीड़ाओं से अथवा उन्मादों से होने वाली अव्यवस्थाओं की पीड़ा से अधिकांश मानव पीड़ित हो चुके हैं। भ्रम से बेहोशी की ओर जो घनीभूत होंगे, वे ही इस पीड़ा को नहीं समझ पाएँगे, ऐसे लोग भी कम ही होंगे।
अस्तु, इन प्रबंधों को शिक्षा में अपना लेने से शिक्षा का मानवीकरण संभव हो सकेगा। ऐसे आवर्तनशील अर्थचिंतन, व्यवहारवादी समाजशास्त्र और मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान सहज ऐश्वर्य से संपन्न होने के लिए समाधानात्मक भौतिकवाद, व्यवहारात्मक जनवाद और अनुभवात्मक अध्यात्मवाद की आवश्यकता, अनिवार्यता है ही, जो पहले स्पष्ट की जा चुकी हैं। ये सब उपलब्ध हो गए हैं। इन छ: प्रबंधों को पाने के लिए अस्तित्व दर्शन, जीवन ज्ञान और मानवीयता पूर्ण आचरण के प्रतिपादन सहज रूप में, मध्यस्थ दर्शन प्रतिपादित हुआ है। जो स्वयं “मानव व्यवहार दर्शन”, “मानव कर्म दर्शन”, “मानव अभ्यास दर्शन” और “मानव अनुभव दर्शन” की अभिव्यक्ति हैं। इस दर्शन के आधार पर वाद और शास्त्र निर्गमित हुआ। इसे मानव परंपरा में अर्पित करने का संकल्प स्वयं प्रेरित है। इस अनुसंधान के मूल में, अव्यवस्था की समझ में जो पीड़ाएँ थीं, उन्हें दूर करना ही प्रधान कारण रहा है।
व्यवस्था सहअस्तित्व सहज अभिव्यक्ति हैं। यह अस्तित्व सहज रूप में हैं। अस्तित्व सदा ही सहअस्तित्व के रूप में वर्तमान है। सहअस्तित्व ही व्यवस्था के रूप में व्याख्यायित और व्यक्त है। व्यवस्था और उसकी अक्षुण्णता के प्रति मानव भ्रमित रहा, अत: मानव का पीड़ित रहना अवश्यंभावी रहा। इसीलिए अव्यवस्था की समझ मानव को आदि काल से ही पीड़ा के रूप में रही है। मानव व्यवस्था की आशा आकांक्षा के आधार पर ही परिवर्तनों को स्वीकारते आया हैं। मानव का विभिन्न इतिहास इस बात को उजागर करता है। अभी इस समय में अथवा इस संघर्ष युग में मानव ने अपने आप में सुविधा भोग के लिए द्रोह, विद्रोह, शोषण और युद्घ को निश्चित औजार मान लिया है।
आज की स्थिति में सुविधा की परिभाषा यही दिखाई पड़ रही है। मानव जाति जिसको सुविधा मान रही है उसका मूल ध्रुव संग्रह है। संग्रह पर ही सुविधा और भोग टिका हुआ है। यह पूर्णतया शहरी जिंदगी में इसी प्रकार दिखाई पड़ता है। शहर में अच्छी सड़कें, अच्छा घर, अच्छी गाड़ी, अच्छी दवाई, अच्छे खिलौने और घर के अंदर जितने भी आधुनिक, अत्याधुनिक गृहशोभा और उपयोगी मानी गई चीजें, जैसे-फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, मिक्सी, ग्राइन्डर और छत को सजाने के लिए सभी इंतजामात, चमकता हुआ बाथरुम, बेडरुम, ड्रांइग रुम और किचन, इन्हीं प्राप्त सुविधाओं को प्रमाणित करने की स्थली माना गया है। साथ ही घर में मनोरंजन के लिए टीवी, वीसीआर, रेडियो, फोटोग्राफिक कैमरे, टेप रिकार्डर माने गये हैं।