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7. समाधान

  1. 1) जागृत परंपरा सम्पन्न हर धरती पर चारों अवस्थायें पूरकता-उपयोगिता विधि से नित्य वैभव रहता है। यह समझ समाधान है।
  2. 2) हर धरती शून्याकर्षण में रहते हुए विकास क्रम ,विकास, जागृति क्रम, जागृति की निरंतरता सहज संभावना समीचीन है। यह समझ होना समाधान है।
  3. 3) हर धरती कालान्तर में अपने में पदार्थ अवस्था से - प्राण, जीव एवं ज्ञानावस्था संयुक्त वैभव निरंतर रहने के लिए है। यह समझ में आना समाधान है।
  4. 4) हर धरती पर ज्ञानावस्था में ही स्वतंत्रता, कल्पनाशीलता, कर्मस्वतंत्रता स्वराज्य में संरक्षित रहती है। यह समझ समाधान है।
  5. 5) मानव ज्ञानावस्था में होते हुए जब भ्रमवश जीवों सदृश्य जीने को प्रवर्तनशील होता है तब पीडि़त होता है समस्या से प्रताडि़त होता है। इसका निराकरण समझ जागृति पूर्वक सर्वतोमुखी समाधान है।
  6. 6) हर मानव अस्तित्व में अनुभवमूलक विधि से सर्वतोमुखी समाधान सम्पन्न होना समीचीन है।
  7. 7) सहअस्तित्व अनुभवमूलक विधि से हर मानव अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था में प्रमाण है। यह सर्वतोमुखी समाधान है।
  8. 8) हर जागृत मानव जीवन लक्ष्य, मानव लक्ष्य को प्रमाणित करता है, यह समाधान है।
  9. 9) जागृत परंपरा में मानव मानवत्व सहित व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी करता है। यह सर्वतोमुखी समाधान है।
  10. 10) हर धरती पर जागृत परंपरा में मानव ही स्वयं संतुलित रहने का दृष्टा है। यह समझ समाधान है।
  11. 11) जागृत परंपरा ही मानव को पीढ़ी से पीढ़ी दृष्टा पद में प्रतिष्ठित करता है। यह समझ समाधान है।

(1) पूरकता (2) उपयोगिता (3) शून्याकर्षण (4) सहअस्तित्व (5) विकास क्रम

(6) विकास (7) जागृति क्रम (8) जागृति और निरंतरता सहज समझ समाधान है।

8. समाधान

  1. 1) सहअस्तित्व में जीने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  2. 2) ऋतु संतुलन को धरती में बनाये रखने का सोच-विचार-निर्णय व कार्यक्रम समाधान है।
  3. 3) नियम, नियंत्रण, संतुलन पूर्वक जीने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
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