2. ग्रीष्म कालोत्सव :-
ग्रीष्म कालोत्सव ऋतु संतुलन, शोध संतुलन को बनाये रखने का शोध। प्रधानत: गाँव में शुद्धता वातावरण में पवित्रता और गाँव में आने जाने में सुगमता सहज मुद्दों पर सोच-विचार कर हर नर-नारी व्यवस्था में भागीदारी करेंगे। परिवार समूह, ग्राम, परिवार सभा सदस्य सोचेंगे ही।
- 2.1 श्रेष्ठता की ओर कार्यगति प्रोत्साहन मूल्यांकन परस्परता में होना आवश्यक है।
- 2.2 सड़क, तालाब, घर-द्वार में सुधार निर्माण सफाई का कार्य उत्सव रूप में, आवश्यकता व प्रयोजन के अर्थ में स्वरूप देना वैभव है।
- 2.3 सटीक श्रम नियोजन का मूल्यांकन।
3. वर्षा कालोत्सव :-
- 3.1 हर परिवार में स्वास्थ्य संबंधी सतर्कता।
- 3.2 प्राकृतिक संतुलन के फलन जो गुणों के प्रति सतर्कता, कृषि सहज कार्य में शुभारंभ उत्सव।
- 3.3 बीज, खाद, फसल संरक्षण में स्वायत्त सम्पन्न रहना उत्सव है।
- 3.4 हर परिवार अपने उत्पाद कार्यक्रम में गुणवत्ता व आवश्यकता के सन्दर्भ में जो ज्ञानार्जन होता है उसे लोक व्यापीकरण के लिए प्रस्तुत करना सामाजिक उत्सव है।
- 3.5 परिवारों में क्रियान्वित हस्तकला, ग्राम शिल्प कुटीर उद्योग व ग्रामोद्योग में उत्पादन कार्योत्सव समझदारी पूर्वक उपयोगिता को प्रमाणित करने में पूरा ध्यान रखना उत्सव।
4. शरद कालीन उत्सव :-
- 4.1 शरद कालीन उत्सव फसलों में स्वस्थता उसके संरक्षण-पोषण के फलन में उत्सव होना।
- 4.2 सटीक समय में किया गया श्रम नियोजन में कृषि, पशुपालन फलित होने का उत्सव।
- 4.3 हस्तकला का परस्पर गुणवत्ता, उपयोगिता के आधार पर परस्परता में पहचान होना उत्सव है।
- 4.4 गृह व कुटीर उद्योग, ग्राम शिल्प, ग्रामोद्योग में उत्पादित वस्तुओं का परस्पर पहचान उत्सव है।
- 4.5 हेमन्त ऋतु उत्सव में अधिकाधिक फसल परिपक्व होने का उत्सव।
- 4.6 फसलों का संग्रहणोत्सव।
- 4.7 फसल संरक्षण कार्योत्सव।