- 6. स्वधन, स्वनारी-स्वपुरूष, दया पूर्ण कार्य-व्यवहार का प्रखर रूप में कला साहित्य की प्रस्तुति श्रेष्ठता के अर्थ में प्रेरक होना सहज है।
(24) साहित्य कला सहज उत्सव
- 1. रोग मुक्त स्वस्थ सुन्दर समाधान सम्पन्न परंपरा के रूप में प्रमाण प्रदर्शन प्रकाशन
- 2. मानवीय संस्कृति में श्रेष्ठता का प्रमाण प्रदर्शन प्रकाशन
- 3. मानवीय सभ्यताओं का प्रमाण प्रदर्शन प्रकाशन
- 4. मानवीय आचार संहिता रूपी न्याय व्यवस्था का प्रमाण प्रदर्शन प्रकाशन
- 5. मानवीयता पूर्ण परिवार व्यवस्था व अखण्ड समाज वैभव का प्रमाण प्रदर्शन प्रकाशन
- 6. सार्वभौम व्यवस्था वैभव का प्रखर प्रदर्शन श्रेष्ठता और मानव परंपरा में प्रेरकता हो।
(25) कला साहित्य सहज उत्सव सार्थकता का घोषणा
- 1. मानव अपने बल के साथ दया पूर्वक सुखी होने का उत्सव
- 2. रूप में सच्चरित्रता पूर्वक सुखी होने का उत्सव
- 3. धन के साथ उदारता पूर्वक सुखी होने का उत्सव
- 4. पद के साथ न्याय पूर्वक सुखी होने का उत्सव
- 5. बुद्धि के साथ ज्ञान-विवेक-विज्ञानपूर्वक सुखी होने का प्रखर प्रदर्शन प्रेरक होता है।
(26) साहित्य-कला प्रदर्शन
- 1. समाधान, समृद्धि सम्पन्न परिवार व्यवस्था का प्रखर प्रदर्शन, प्रकाशन प्रेरकता है।
- 2. मानवीयतापूर्ण मानसिकता का प्रखर प्रकाशन प्रदर्शन प्रेरणात्मक होना स्वाभाविक है।
- 3. सहअस्तित्व में चारों पद अवस्था व संबंधों को उपयोगिता-पूरकता के अर्थ में प्रखर प्रदर्शन-प्रकाशन।
- 4. सहअस्तित्व में चारों पद ‘त्व’ सहित व्यवस्था के अर्थ में प्रखर प्रदर्शन-प्रकाशन प्रेरक है।
- 5. जागृत मानव परंपरा के अर्थ में किया गया नृत्य व गीत-संगीत, सभी प्रकार के वाद्यों, नृत्यों का प्रखर प्रदर्शन प्रकाशन प्रेरणादायी है।