(आवश्यकता से अधिक उत्पादन) और बौद्धिक समाधान को व्यक्त, संप्रेषित व प्रकाशित करेंगे। ऐसी अर्हता को सुलभ करा देना, ग्राम स्वराज्य है। ‘ग्राम स्वराज्य योजना’ का आधार समाधान समृद्धि को विकसित कर उसको व्यवस्था के रूप में क्रियान्वयन करना है, यही इसकी अवधारणा और प्रतिबद्धता है।

10.2 ग्राम स्वराज्य योजना के लिए पूर्व आंकलन

ग्राम स्वराज्य व्यवस्था को आरंभ करने के पूर्व यह आवश्यक है कि उस ग्राम के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली जाय। इस जानकारी, सर्वेक्षण एवं आंकलन के आधार पर ग्राम स्वराज्य व्यवस्था की निश्चित रूप में योजना बनायी जाये। जानकारी का प्रकार निम्न होगा :-

  1. 1. ग्राम का नाम, जिला, पोस्ट ऑफिस, पिन कोड, प्रान्त। स्थानीय तापमान, वर्षा, शीतमान, जलस्रोत, वन, खनिज तथा ग्राम से जुड़े भू-क्षेत्र चित्र रूप में गणना आंकलन।
  2. 2. गाँव की जनसंख्या, आयु, आय, वर्ग, स्त्री, पुरुष, बच्चें, लड़का, लड़की के आधार पर।
  3. 3. प्राप्त शैक्षणिक स्थितियों, योग्यताओं का आंकलन 3 वर्ष से 10 वर्ष तक, 10 वर्ष से 18 वर्ष, 19 वर्ष से 30 वर्ष और 30 वर्ष से ऊपर कितने साक्षर हैं, कितने नहीं। कहाँ तक पढ़ें हैं?
  4. 4. कितने लोग उत्पादन, नौकरी, मजदूरी, ग्राम शिल्प, हस्तकला, कुटीर उद्योग, ग्रामोद्योग में कार्य कर रहे हैं। कितने लोग बेरोजगार हैं।
  5. 5. कितने व्यापार करने में व्यस्त हैं। कितनी दुकानें हैं और कितने इन पर आश्रित हैं।

10.2 (1) ग्राम की सामान्य सुविधाओं का आंकलन :-

  1. 1. गाँव व गाँव के भू-क्षेत्र जनसंख्या विवरण सहित जलवायु समीपस्थ वन, वन-खनिज, सम्पदा, वनौषधियों का आंकलन।
  2. 2. गाँव में आवास, ईंधन, प्रकाश, पीने का पानी, मल-जल निकास व्यवस्था, पाठशाला, उर्जा स्रोतों, सड़क व्यवस्था, डाक घर, बैंक, सांस्कृतिक भवन, तालाब, नहर, नदी, जल स्रोत आदि का आंकलन व सर्वेक्षण।

10.2 (2) उत्पादन संबंधी आंकलन :-

कृषि भूमि, पड़ती भूमि, कृषि संभावित भूमि। सिंचाई व्यवस्था, जल के स्रोत, तालाब नलकूप, नहर, नदी आदि संबंधी स्थिति और संभावनाओं का आंकलन।

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