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प्रबुद्धता-संप्रभुता-प्रभुसत्ता सहज आचरण सूत्र व्याख्या

परिभाषा :- प्रत्येक सूत्र शब्द के साथ शाश्वत, नित्य, अखण्ड, सार्वभौम दृष्टि सहित स्थिर, निश्चय सहज वैभव वर्तमान स्पष्ट होने में, से, के लिए है।

3.1 प्रबुद्धता

    1. 1) ज्ञान, विवेक, विज्ञान संपन्नता सहज प्रमाण कार्य-व्यवहार व्यवस्था में भागीदारी।
    2. 2) समझदारी, ईमानदारी सम्पन्नता सहित जिम्मेदारी व भागीदारी।

3.2 संप्रभुता

    1. 1) प्रबुद्धता सहित अखण्ड राष्ट्र समाज सूत्र व्याख्या में पारंगत प्रमाण। यही समझदारी है।
    2. 2) ईमानदारी सम्पन्नता जिम्मेदारी-भागीदारी के रूप में स्पष्ट होना।

3.3 प्रभुसत्ता

    1. 1) अखण्ड समाज एवं राष्ट्र-राष्ट्रीयता सहित दश सोपानीय स्वराज्य व्यवस्था मानवत्व रूप में प्रबुद्धता संप्रभुता सहित सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी।
    2. 2) समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी के रूप में प्रमाण परंपरा। यही प्रबुद्धता पूर्ण सत्ता है।

3.4 राष्ट्र

धरती अखण्ड होने के अर्थ में धरती पर ही चारों अवस्थाओं का वैभव, धरती पर मानव अखण्ड समाज राष्ट्र के अर्थ में होना रहना नित्य वैभव।

स्पष्टीकरण - जागृत मानव अखण्डता सहज सूत्र व्याख्या सहित प्रमाण है। बहु प्रकार की विभिन्न वंश के रूप में जीव-परंपरायें, प्राणावस्था में अन्न-वन वनस्पतियों की परंपराएँ बीज-वृक्ष विधि सहज रूप में, भौतिक रूप में खनिज वस्तुओं की परंपरा परिणाम के आधार पर एवं संतोषजनक संतुलन में शीतोष्ण-वर्षामान परंपरा सहज वैभव है।

3.5 राष्ट्रीयता

    1. 1) जागृत मानव परंपरा ही मानवीयतापूर्ण आचरण परंपरा।
    2. 2) ‘त्व’ (मानवीयता सहज निश्चित आचरण) सहित व्यवस्था, समग्र व्यवस्था में भागीदारी।
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