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  1. 1. दश सोपानीय व्यवस्था क्रम में हर नर-नारी में, से, के लिए सत्यबोध सहज ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सहज आचरण सहित परिवार व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी करना।
  2. 2. मानवीय शिक्षा-संस्कार सहित परिवार मूलक स्वराज्य-व्यवस्था में भागीदारी सहज स्वतंत्रता वैभव सहित नित्य वर्तमान में, से, के लिए आचरण।

28) राष्ट्रीयता

  1. 1. न्याय प्रदायी क्षमता, योग्यता, पात्रता सहित कार्य-व्यवहार सहित सहअस्तित्व सहज प्रमाण परंपरा।
  2. 2. मानवीयतापूर्ण आचरण, व्यवहार, विचार का वर्तमान और उसकी परंपरा ज्ञान, विवेक, विज्ञान सहित किया गया दायित्व व कर्त्तव्य निर्वाह।

29) स्वतंत्रता

  1. 1. जागृत मानव स्वयं स्फूर्त विधि से संस्कृति-सभ्यता, विधि-व्यवस्था में भागीदारी।
  2. 2. पूर्णता सहज निरंतरता, मानवीय संस्कृति-सभ्यता, विधि-व्यवस्था सहज अक्षुण्णता एवं परंपरा।
  3. 3. प्रामाणिकता व समाधान पूर्ण अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा व प्रकाशन क्रिया सहज परंपरा।
  4. 4. स्वानुशासन पूर्ण पद्धति, प्रणाली, नीति पूर्वक किया गया कार्य-व्यवहार-विचार विन्यास परंपरा।

30) स्वराज्य

  1. 1. जागृत मानव परिवार मूलक समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज वैभव।
  2. 2. मानवीय शिक्षा-संस्कार, न्याय-सुरक्षा, विनिमय-कोष, उत्पादन-कार्य, स्वास्थ्य-संयम सुलभता का अविभाज्य वर्तमान और उसकी परंपरा।
  3. 3. मानव चेतना सम्पन्न मानव परंपरा में मानवीय शिक्षा-संस्कार, स्वास्थ्य-संयम, न्याय-सुरक्षा, उत्पादन में सुनिश्चित दिशा और निपुणता, कुशलता, पांडित्य सहित उत्पादित वस्तु व विनिमय कोष, व्यवस्थाओं का अविभाज्य वर्तमान और उसकी परंपरा वैभव है।

31) समृद्धि

  1. 1. परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन।
  2. 2. अभाव का अभाव।
  3. 3. समाधान समृद्धि सम्पन्नता - समझदारी से समाधान, श्रम से समृद्धि।
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