जीवन में, से, के लिए जागृति स्वत्व-स्वतंत्रता-अधिकार सहज वैभव होने में विश्वास,
शरीर व जीवन संयुक्त रूप में मानव शाकाहारी होने में विश्वास,
2. स्वयं में विश्वास,
फलस्वरूप श्रेष्ठता का सम्मान में विश्वास,
प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलन में विश्वास,
व्यवहार में सामाजिक होने में विश्वास,
उत्पादन कार्य रूपी व्यवसाय में स्वावलम्बन सहज विश्वास होना ही स्थिति, मौलिकता को प्रमाणित करना ही जागृति है, हर नर-नारी जागृति को स्वीकारता है।
4.6 (10) मूल्यों सहज प्रमाण परंपरा
संबंधों में मानवत्व सहित व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी सहज प्रयोजन के आधार पर पहचान, मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, उभय तृप्ति व संतुलन रूप में ही न्याय सुलभ होना ही सुनिश्चित बिन्दु है।
चरित्र = स्वधन, स्वनारी-स्वपुरूष, दया पूर्ण कार्य व्यवहार करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।
नैतिकता = तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग और सुरक्षा करना।
मानवीयता पूर्ण आचरण में मूल्य, चरित्र, नैतिकता अविभाज्य रूप से वर्तमान रहता है। यह जागृत मानव में ही प्रमाणित होता है।
हर नर-नारी में-से-के लिये मानवीयता पूर्ण आचरण स्वीकार होना स्वाभाविक है आवश्यक है।
4.6 (11) मानव
मानवत्व सहज सूत्र व्याख्या रूप में वर्तमान परंपरा
तात्विक = मानवीयता पूर्ण आचरण सहित वर्तमान होने वाला, समाधान, समृद्धि समेत सुख, शान्ति पूर्वक प्रमाणित होने वाला।
बौद्धिक = मनाकार को साकार करने वाला मन:स्वस्थता को प्रमाणित करने वाला है।
व्यवहारिक = मनाकार को साकार करने के क्रम में सामान्य व महत्वाकाँक्षावादी वस्तुओं का उत्पादन करने वाला। मन:स्वस्थता सहज सर्वतोमुखी समाधान रूप में प्रमाणित करने वाला जागृत मानव है, अन्यथा भ्रमित, जागृति क्रम में गण्य मानव है।