1.0×

मानवीयता सहज सूत्र व्याख्या के रूप में -

  1. 1. समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी सहित ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सहित अखण्ड समाज व सार्वभौम व्यवस्था के अर्थ में परंपरा के रूप में प्रमाणित रहना।
  2. 2. प्राकृतिक संतुलन को वन, खनिज संतुलन रूप ऋतु संतुलन में नियंत्रित करना, हर मानव में, से, के लिये समाधान समृद्धि को प्रमाणित करना।

अखण्ड समाज सहज सार्वभौम व्यवस्था पूर्वक दश सोपानीय व्यवस्था विधि से प्रमाणित करना। सार्वभौम शुभ ही समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व प्रमाण है।

समझदारी = ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सूत्र व्याख्या है।

4.6 (12) मानवीयतापूर्ण प्रवृत्ति

मानवीयतापूर्ण प्रवृत्ति = पुत्रेषणा, वित्तेषणा, लोकेषणा

पुत्रेषणा = जन-बल कामना प्रवृत्ति

वित्तेषणा = धन-बल (समृद्धि) कामना प्रवृत्ति

लोकेषणा = यश-बल कामना सहित सार्थकता, स्व वैभव उपकार सहज पहचान प्रस्तुत करने के रूप में अखण्डता, सार्वभौमता सूत्र व्याख्या को सहजता से स्पष्ट करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।

अखण्ड समाज सूत्र में जीने, संबंधों को पहचानने, संबोधित करने, मूल्यों का निर्वाह करने में, से, के लिये प्रमाण परंपरा है।

उपयोग, सदुपयोग, प्रयोजनों के अर्थ में व उत्पादित वस्तुओं का नियोजन सामाजिकता के अर्थ में है।

स्व वैभव सहज पहचान प्रस्तुत करने रूप में सहजता, स्पष्टता है। जागृत मानव स्वभाव ही सहज है।

(क) मानवीय स्वभाव

धीरता = न्याय पूर्वक, न्याय प्रदायी प्रमाण सहित जीने में दृढ़ता सहज परंपरा।

वीरता = न्याय पूर्वक जीना, अन्य को न्याय सुलभ करना, कराना।

उदारता = तन, मन, धन को परिवार संबंधी व्यवस्था में उपयोग, अखण्ड समाज में सदुपयोग, सार्वभौम व्यवस्था में प्रयोजित करना।

दया = पात्रता के अनुरूप वस्तु सुलभ कराना, समाधान समृद्धि के अर्थ में विश्वास स्थापित कराना।

कृपा = वस्तु है पर उसके अनुरूप पात्रता नहीं है, उनमें पात्रता स्थापित कराना।

Page 28 of 212
24 25 26 27 28 29 30 31 32