5.11 सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व
जागृत मानव में, से, के लिए सत्ता में सम्पृक्त जड़ चैतन्यात्मक प्रकृति रूप में और परमाणु में विकास क्रम में रासायनिक-भौतिक, ठोस, तरल, विरल व रासायनिक वैभव का प्राण कोषा, उनमें निहित रचना विधि सहित विविध रचनायें।
जीव शरीर एवं मानव शरीर भी प्राण कोषाओं से रचित होना, शरीर एवं जीवन संबंध सहअस्तित्व सहज वर्तमान संबंध में सहअस्तित्व नित्य प्रभावी होना स्पष्ट है।
5.12 जागृत मानव
हर जागृत मानव मनाकार को परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन के रूप में साकार करने वाला, सर्वतोमुखी समाधान रूप में मन:स्वस्थता (अभ्युदय) सहज प्रमाण प्रस्तुत करता है।
अभ्युदय
- 1. सर्वतोमुखी समाधान सम्पन्न मानव परंपरा।
- 2. मानवीयता पूर्ण आचरण वैभव मूल्य, चरित्र, नैतिकता सहित परिवार व्यवस्था, दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था सहज परंपरा ही जागृत मानव परंपरा है।
राष्ट्रीय व्यवस्था = परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था दस सोपान में जागृत मानव में, से, के लिए परंपरा है। यही मानव, देव मानव, दिव्यमानव चेतना सहज वैभव है।
राष्ट्र = चारों अवस्था सहित सहअस्तित्व में, से, के लिए परंपरा है।
राष्ट्रीयता = नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, समाधान, सहअस्तित्व रूपी परम सत्य में, से, के लिए प्रमाण सहज वैभव जागृति।
जागृति = सहअस्तित्व में, से, के लिए जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना।
राष्ट्रीय चरित्र = मानवीयता पूर्ण आचरण सहित अखण्ड राष्ट्र समाज व्यवस्था सहज प्रमाण ही सार्वभौमता है।