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5.8 (8) जागृत मानव सहज मौलिकता

  1. 1. समझदारी
  2. 2. ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता प्रमाण वर्तमान

ज्ञान = सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान व मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान सहज स्वत्व समुच्चय मानवीयतापूर्ण मौलिकता ज्ञान ही है। यही जागृति है।

विवेक = मानव लक्ष्य, जीवन मूल्य सुनिश्चित करना।

विज्ञान = मानव लक्ष्य के लिये दिशा निर्धारण करना व कार्य व्यवहार में प्रमाणित करना।

मौलिकता समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण को कार्य-व्यवहार-व्यवस्था में प्रमाणित करना मौलिक अधिकार है।

मौलिक अधिकार को प्रमाणित करने के लिए स्वयं स्फूर्त विधि से प्रवृत्त रहना स्वतंत्रता है।

अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करना मौलिक अधिकार है। यह स्वयं स्फूर्त विधि से प्रमाणित होता है। यह स्वतंत्रता, जागृति सहज प्रमाण है।

दश सोपानीय सार्वभौम व्यवस्था पाँच स्थितियों में स्पष्ट है। ये पाँच स्थितियाँ हैं -

(1) व्यक्ति (2) परिवार (3) समाज (4) राष्ट्र (5) विश्व (अन्तर्राष्ट्र)

5.8 (9) मानवीय शिक्षा-संस्कार प्रकाशन परंपरा

मानवीय शिक्षा = शिष्टता अर्थात् अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित विश्व दृष्टिकोण सम्पन्न अभिव्यक्ति संप्रेषणा।

संस्कार = समझदारी सहित ईमानदारी, जिम्मेदारी व भागीदारी में स्वतंत्रता।

हर जागृत मानव ही ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता पूर्वक मानव लक्ष्य को सुनिश्चित करता है और जिम्मेदारी, भागीदारी सहित अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था सूत्र व्याख्या के रूप में कार्य-व्यवहार में प्रमाणित होता है यही स्वत्व, स्वतन्त्रता, अधिकार है।

स्वत्व = समझदारी सम्पन्नता और अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा।

स्वतंत्रता = स्वयं स्फूर्त विधि से समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी में, से, के लिये प्रमाण परंपरा।

हर जागृत मानव समझदारी सहित मानवत्व रूपी अधिकार को प्रमाणित करने में स्वतंत्र है।

अधिकार = समझदारी सहज समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व को वर्तमान में प्रमाणित करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।

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