स्वराज्य = मानवत्व सहित व्यवस्था, समग्र व्यवस्था में भागीदारी परंपरा।
स्वराज्य अर्थात् मानवत्व सहित दस सोपान में सार्वभौम व्यवस्था के रूप में समाधान, समृद्धि , अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण परंपरा है।
स्वतंत्रता = स्वयं स्फूर्त विधि से सर्वतोमुखी समाधान में, से, के लिये प्रमाण वर्तमान।
5.8 (10) जीवन जागृति
- 1. समझदारी, ईमानदारी सहज प्रमाण ही भागीदारी रूप में।
- 2. सर्वतोमुखी समाधान सहित मानव लक्ष्य, जीवन लक्ष्य को वर्तमान में प्रमाणित करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।
5.9 जागृत मानव सहज आचार संहिता रूपी सूत्र व्याख्या
प्रारूप -
मानवीय आचरण-संपन्नता सहित सम्बन्धो का निर्वाह समेत अखण्ड राष्ट्र समाज व्यवस्था में भागीदारी करना।
सूत्र-फलन में -
- 1. हर समझदार परिवार में समाधान-समृद्धि प्रमाणित होना।
- 2. अखण्ड राष्ट्र समाज व्यवस्था में समाधान, समृद्धि, अभय (वर्तमान में विश्वास) सहअस्तित्व प्रमाणित होना।
दश सोपानीय परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था विधि क्रम में समाधान, समृद्धि , अभय, सहअस्तित्व सहज वर्तमान परंपरा ही व्याख्या है। संबंधों का पहचान, मूल्यों का निर्वाह ही विधि-व्यवस्था है। यह प्रत्येक नर- नारी का मौलिक अधिकार है।
अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन ही मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद सूत्र व्याख्या है। इसमें पारंगत होना प्रत्येक नर-नारी का मौलिक अधिकार है।
मानवीय शिक्षा-दीक्षा संस्कार, मानवीय आचरण सूत्र व्याख्या रूपी संविधान, अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था, मानवत्व सहित मानवीय व्यवस्था में भागीदारी प्रत्येक नर-नारी का मौलिक अधिकार है।
सार्वभौम = सर्व मानव द्वारा स्वीकृत अथवा स्वीकार करने योग्य सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व में मूल अवधारणा सम्पन्न होना यह प्रत्येक नर-नारी का मौलिक अधिकार है।