है । चारो अवस्था में संतुलित बिन्दु में लाने के लिए सहअस्तित्ववादी विधि को अपनाना ही होगा ।
सभी वस्तुयें अपने सूक्ष्म रूप में, परमाणु के रूप में मूल मात्रा है । रचना के रूप में बड़े-छोटे इकाईयों के रूप में हमें उपलब्ध है, खनिज के रूप में उपलब्ध है । इन उपलब्धि के साथ हमारे भविष्य की डोरी बंधी रहती है । आज हमने जो कुछ भी आचरण किया, कार्य-व्यवहार किया, अव्यवस्था में आचरण किया, इसका फल परिणाम आज न हो, वर्षों में भी हो, हमें भोगना ही पड़ेगा । इस प्रयत्न से यह भी समझ में आता है कि वर्तमान में हमें सदा-सदा के लिए समझदार होना ही है । समझदार रहने के लिए आवश्यक है कि समझदारी परंपरा को बनाये रखने के लिए प्रयत्नशील भी रहना है । यही मानव की स्थिति-गति का मतलब है ।
हर मात्रा में स्थिति-गति एक स्वभाविक क्रिया है । स्थिति, गति के संयुक्त रूप में ही हर क्रिया को पहचाना जाता है । वस्तु के आचरण को पहचाना जाता है, गति में आचरण स्थिति में फलन बना रहता है । यही यथास्थिति का स्वरूप है । इसी में यथास्थिति का सूत्र, व्याख्या समाया रहता है । जैसे लोहे में कठोरता भौतिक आवश्यकता है । उसके स्थिति गति में ही इसका प्रमाण हो पाता है । लोहा का उपयोग करना उसका गतिशीलता का तात्पर्य हुआ । जैसा मानव अपने शक्ति को, बल को प्रभावित कर लोहे का परीक्षण करता है, तभी लोहे के प्रति विश्वास हो पाता है । इसमें मानव काफी सफल हो चुका है । बहुत सारी वस्तुओं के साथ परीक्षण-निरीक्षण किया जा चुका है । निश्चय को पाया गया है, इस निश्चयता के आधार पर अनेक प्रौद्योगिकी कार्यशील रहना देखा जा रहा है । इन्हीं में किसी प्रौद्योगिकी में भागीदारी करने की इच्छा से ही तकनीकी शिक्षा को हम आचरण करते हैं । इसमें सार्थकता भी दिखायी पड़ती है । इसका प्रमाण अनेक लोग प्रौद्योगिकी में भागीदारी करते हैं । प्रौद्योगिकी विधा में अनेक लोग सफल होते हुए भी मनः स्वस्थता में प्रमाणित होना अभी तक बना नहीं । मनःस्वस्थता के विधा में प्रमाणित होने के लिए मानव को पहचानना प्रधान हो जाता है । मानव को पहचाने बिना मनः स्वस्थता का प्रमाण होता नहीं है । मानव का पहचानना समाधान, समृद्धि पूर्वक जीता हुआ, न्याय को प्रमाणित करने से ही होता है । न्याय अपने में संबंध मूल्य, मूल्यांकन, उभय तृप्ति के रूप में स्पष्ट होना पाया जाता है ।
स्वयं मानवीयता पूर्ण आचरण किये बिना दूसरे मानव में मानवीय आचरण को पहचानना बना ही नहीं । इसका प्रयोग इस प्रकार से किया जा सकता है । एक व्यक्ति जो मानवीय आचरण