सुखी होने के तथ्य को हम अपने में जांच कर प्रमाणित कर चुके हैं । यह सहअस्तित्व विधि से सफल है । हर विधा में हम समाधानपूर्वक जीकर ही सुखी होते हैं । समाधान पूर्वक जीने का सूत्र समझदारी पूर्वक ही सार्थक होना पाया गया । समझदारी सहअस्तित्व पूर्ण दृष्टिकोण से सम्पन्न होता है । इस क्रम में समझदारी का नित्य स्रोत तीन विधा में होना पहले से हम समझ चुके हैं । यह तो पहले से अभी तक प्रस्तुत किया गया अध्ययन से विदित हो चुका है कि आदर्श वादी विधि, भौतिक वादी विधि से, तार्किक विधियों से समझदारी प्रमाणित नहीं हो पाती । प्रस्तावित सहअस्तित्व वादी विधि से ही, अनुभव मूलक विधि से हर नर-नारी समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और भागीदारी के रूप में मानवीय आचरण पूर्वक सर्वतोमुखी समाधान को प्रमाणित कर सकते हैं । स्वयं में सदा-सदा सुख का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि सार्वभौम समाधान सम्पन्न होना ही समझदारी की सर्वप्रथम सीढ़ी है । हर जागृत मानव में यह विद्यमान रहता ही है । इसी कारणवश सदा-सदा सुखी होने की संभावना भी समायी रहती है । इसी आधार पर प्रमाणित होने की आवश्यकता बनी रहती है । इस प्रकार हर समझदार मानव परम्परा में, से, के लिए जिम्मेदार होना, उपकारी होना संभावित हो गया । उपकार का तात्पर्य भी स्पष्ट है । जागृति के अर्थ में समझा हुआ को समझाना, किये हुए को कराना, सीखे हुए को सिखाना, यह सब समाधानकारी होना फलतः उपकार सार्थक होना होता है । इस ढंग से मानव कैसा उपकारी हो सकता है, स्पष्ट हुआ है । यह भी स्पष्ट हुआ कि हम सब समझदार मानने वाले, नासमझ मानने वाले कैसे समस्याओं को निर्मित किया । इसी के साथ यह भी स्पष्ट हो गया कि विज्ञान संसार मानसिकता, प्रबोधन कार्यों में जिम्मेदारियों से बहुत दूर पहुँचने के क्रम में, यंत्र के समान मानव को पहचानने की कोशिश की, इसमें सर्वथा असफल हुआ ।
सहअस्तित्व विधि से स्पष्ट न होने वाली कोई वस्तु ही नहीं है । सम्पूर्ण वस्तु को जो समझने योग्य है, समझता है, समझा गया भी है । समझे हुए को समझाना एक स्वयं स्फूर्त क्रिया है । इस प्रकार व्यक्त और अव्यक्त का आधार स्पष्ट हो गया । मानव चाहता हुआ को प्रमाणित कर पाया, समझा पाया । यही व्यक्त होने का प्रमाण है । इसी के साथ जीना भी होता है जो हम समझा मानते रहे हैं, वह समझा नहीं पाये, यही अव्यक्त कहा गया । जबकि सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व नित्य वर्तमान और व्यक्त है, इसमें कुछ भी अव्यक्त नहीं है ।