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  1. 5) सहअस्तित्व सहज निरंतर स्थिरता को समझना समाधान।
  2. 6) सहअस्तित्व सहज नित्य रूप में विकास को समझना समाधान, विकास सहज चैतन्य इकाई गठनपूर्ण परमाणु में दृष्टा पद प्रतिष्ठा होने का समझ समाधान है।
  3. 7) नित्य वैभव के रूप में जागृति को समझना समाधान है।
  4. 8) जीवन व जागृति को परम प्रयोजन के रूप में समझना समाधान है।
  5. 9) जीवन ही दृष्टा पद प्रतिष्ठा सम्पन्न होने को अध्ययन अनुभव पूर्वक समझना समाधान है।
  6. 10) जीवन ही जागृति पूर्वक मानव परंपरा में प्रमाणित होने को अध्ययन अनुभव पूर्वक समझना समाधान है।

3. समाधान

  1. 1) व्यापक सत्ता (साम्य ऊर्जा) में सम्पृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति सहअस्तित्व सहज अस्तित्व अर्थात् सदा-सदा होना और मानव में, से, के लिए स्वीकार होना ही समाधान है।
  2. 2) सहअस्तित्व सहज समझदारी समाधान है।
  3. 3) सहअस्तित्व में ही जीवन सहज क्रियाकलाप को समझना समाधान है।
  4. 4) सहअस्तित्व में ही जीवनी क्रम, जीवन जागृति क्रम, जागृति और जागृति सहज निरंतरता को मानव परंपरा में समझ होना, मानव परंपरा में ही जागृति प्रमाणित होने की समझ समाधान है।
  5. 5) सत्ता में सम्पृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति को नित्य वर्तमान सहज सहअस्तित्व रूप में समझना समाधान है।
  6. 6) सहअस्तित्व सहज नित्य वर्तमान ही परम सत्य है। यह मानव परंपरा में अर्थात् -
    • - मानवीय शिक्षा-संस्कार परंपरा,
    • - मानवीय आचार संहिता रूपी संविधान परंपरा,
    • - मानवीयता पूर्ण दश सोपानीय सार्वभौम व्यवस्था परंपरा का समझ सर्वतोमुखी समाधान है।
  7. 7) सर्वतोमुखी समाधान सम्पन्नता ही हर नर-नारियों में, से, के लिए जागृति सहज प्रमाण, वर्तमान और परंपरा है। यह समझना समाधान है।
  8. 8) जागृत मानव-परंपरा, निरंतरता और प्रयोजनों को समझना समाधान है।
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