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  1. 9) सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व सहज स्थिरता मानव में ही जागृति सहज सुलभ होने का निश्चयता को समझना समाधान है।

4. समाधान

  1. 1) मानव परंपरा को सार्वभौम व्यवस्था का धारक-वाहक रूप में जागृत मानव को मानवत्व सहित व्यवस्था में पहचानना, समझना, यही समाधान है।
  2. 2) विकास व जागृति को सुनिश्चित रूप में समझना समाधान है।
  3. 3) जागृति सहज परंपरा, प्रक्रिया व मूल्यांकन विधि को समझना समाधान है।
  4. 4) जागृत मानव परंपरा में हर मानव दृष्टा पद में होने की समझ समाधान है।
  5. 5) सर्व मानव दृष्टा पद में प्रमाणित होने की समझ समाधान है।
  6. 6) जीवन जागृति सहज प्रतिष्ठा में ही दृष्टा पद को मानव प्रमाणित करता है यह समझ समाधान है।
  7. 7) हर मानव दृष्टा पद में समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी को प्रमाणित करता है, यह समझ समाधान है।
  8. 8) दृष्टा पद में हर मानव मानवत्व को प्रमाणित करता है। यह समझ सहित प्रमाण समाधान है।
  9. 9) मानवत्व हर मानव के स्वत्व होने की समझ समाधान है।

5. समाधान

  1. 1) गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता सहज सर्वतोमुखी वैभव को समझना समाधान है।
  2. 2) विकास क्रम में भौतिक-रासायनिक क्रियाकलाप व विकास गठनपूर्ण परमाणु चैतन्य पद में होने, जीवन ही जीवनी क्रम विधि से जीवों का वैभव और जागृतिक्रम, जागृति के रूप में मानव परंपरा में होने की समझ समाधान है।
  3. 3) जीवन, भौतिक-रासायनिक और जीवन क्रियाकलापों का जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना वर्तमान में वैभव है। यह समझ समाधान है।
  4. 4) जागृत मानव परंपरा में जानने, मानने, पहचानने, निर्वाह करने में प्रमाण होता है। यह समझ में आना समाधान है।
  5. 5) हर नर-नारी में जागृति सहज अस्तित्व में अनुभव सहज वैभव है, यह मानव परंपरा में समझ होना समाधान है।
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