- 8.1 जागृत जीवन ही ज्ञाता पद में वैभव है। ज्ञान सम्पन्न होना ही जागृति और मानव कुल में ज्ञाता पद सहज प्रमाण है।
- 8.2 सहअस्तित्व में गठनपूर्णतावश जीवन रूपी परमाणु अमर, अपरिणामी, चैतन्य इकाई, नित्य होने का अध्ययन होता है।
- 8.3 जीवन में जागृति व जागृति पूर्णता है और जीवन नित्य है, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता सहित आहार-व्यवहार पूर्वक स्वस्थ शरीर का भी मूल्यांकन होता है।
- 8.4 जीवन में ही स्वयं का, जीव जगत व जीवन महिमा का पहचान विचार निश्चयन दृढ़ता प्रमाण, सहअस्तित्व में अनुभव सहज प्रमाण, अनुभव का बोध सहज संकल्प, न्याय-धर्म-समाधान-सत्य सहज स्वीकृति विश्लेषण, मूल्यों का आस्वादन सहित संबंधों का चयनपूर्वक कार्य-व्यवहार में, से, के लिए अध्ययन व्यवहार अनुभव है।
- 8.5 जीवन ज्ञान में मन, वृत्त, चित्त, बुद्धि, आत्मा में निश्चित क्रियाकलापों का अध्ययनपूर्वक बोध, अनुभव, अनुभवपूर्वक बोध है। अनुभव प्रमाण ही परम है।
- 8.6 मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि, आत्मा में परावर्तन प्रत्यावर्तन द्वारा मानव में प्रमाण बोध होता है। अध्ययन पूर्वक अनुभव बोध, अनुभव प्रमाण बोध होता है।
- 8.7 जीवन में अनुभव प्रमाण का परावर्तन बोध सहित होना प्रमाणों का नित्य स्रोत है।
- 8.8 जीवन जागृति अनुभव सहज प्रयोजन होने का बोध व प्रमाण समाधान है।
- 8.9 मानव में जीवंतता का तात्पर्य शरीर व जीवन संयुक्त रहने तक है।
- 8.10 सभी अंग अवयव सहित शरीर को जीवन ही जीवंतता प्रदान कर स्वस्थ सुरक्षित बनाये रखता है। फलस्वरूप जीवन अपनी जागृति को प्रमाणित करता है। यही जीवंतता का तात्पर्य है।
- 8.11 मन में आशा, वृत्ति में विश्लेषण, चित्त में चित्रण के योगफल में मनाकार साकार होता है। यह सभी समुदाय परंपरा में स्पष्ट है। ऐसे समुदायों में मन:स्वस्थता सहज आवश्यकता बना ही रहता है।
- 8.12 सीमायें अवस्था व पदों के आधार पर अखण्डता का बोध, भ्रमवश एक-एक समुदाय समूह के रूप में वर्तमान है। जीवन नित्य है इसलिए जीवन में आशा व सुख धर्म प्रमाणित होना निश्चित है।
- 8.13 अस्तित्व धर्म शाश्वत् पदार्थावस्था में द्रष्टव्य है। पुष्टि धर्म देशकालीय प्राणावस्था में स्पष्ट है। आशा धर्म जीवावस्था में स्पष्ट है। मानव में सुख धर्म प्रतिष्ठा स्पष्ट है। यही जागृति है। समाधान = सुख; समस्या = दु:ख।
Table of contents
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-8
संविधान व्यवस्था सूत्र व्याख्या
-7
प्रस्तावना
-6
प्रस्तावना में प्रयुक्त शब्दों की परिभाषा
1
1. पूर्ववर्ती विचार परंपरा, संविधानों की मान्यता प्रक्रिया एवं समीक्षा
5
2. मानवीय संविधान परिचय
15
3. सहअस्तित्व सूत्र व्याख्या
20
4. संविधान, विधान, विधि, न्याय, आचरण सूत्र व्यवस्था व स्वराज्य स्वतंत्रता
33
5. जागृत मानव
43
6. मौलिक अधिकार
66
7. व्यवस्था
110
8. ग्राम/मोहल्ला व्यवस्था
130
9. कार्यक्रम सत्यापन घोषणा
146
10. स्वराज्य व्यवस्था
153
11. हर व्यक्ति में परीक्षण सूत्र
161
12. मानव चेतना सहज आचरण सूत्र