शिक्षक = पूर्णतया समझदार, ईमानदार, जिम्मेदार, भागीदार रहना शिक्षा प्रणाली सहज वैभव है। जागृति स्रोत व वर्तमान में प्रमाण रूप में होना वैभव है।
अभिभावक = अभ्युदय को भावी पीढ़ी में आवश्यकता अपेक्षा सहित स्वयं की उपयोगिता-पूरकता को प्रमाणित करने वाला अभिभावक है।
विद्यार्थी = भ्रम मुक्ति व समझदारी के लिए साक्षरता, भाषा व अध्ययन मानवीयता पूर्ण आचरण में पारंगत होने के लिए, करने के लिए, अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी सहित मानव लक्ष्य को साकार करने के लिए आशा, अपेक्षा, आवश्यकता व जिज्ञासु होना है।
6.6 मानवीय संस्कृति सभ्यता का अधिकार
अनुभव मूलक अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा
संबंध-मूल्य निर्वाह परंपरा
मूल्यांकन-उभयतृप्ति निर्वाह परंपरा
व्यवस्था सहज निर्वाह परंपरा
दायित्व निर्वाह परंपरा इन्हें कलात्मक विधि
कर्त्तव्य सहज निर्वाह परंपरा से प्रस्तुत करना
पूर्णता के अर्थ में किया गया निर्वाह परंपरा
जागृतिपूर्वक जीने की कला व कृतियों के रूप में निर्वाह परंपरा
क्रियापूर्णता, मानव मूल्य, चरित्र, नैतिकता सहित सर्वतोमुखी समाधान प्रमाण के रूप में वर्तमान होना रहना ही है।
जागृत मानव जीने का प्रमाण परंपरा ही मानव संस्कृति सभ्यता सहज मौलिक अधिकार है।
6.6 (1) कला
कला = श्रेष्ठता सहज उपयोगिता पूरकतावादी भाषा, भाव (मूल्य सम्प्रेषण) भंगिमा, मुद्रा, अंगहार प्रकाशन
भाषा = सत्य भास होना प्रकाशन एवं सम्प्रेषणा सहज अर्थ में।
मौलिकता (चारों अवस्था व पदों का) सहज, रूप-गुण-स्वभाव-धर्मात्मक मौलिकता, चारों अवस्था व पदों की मौलिकता, अखण्डता, सार्वभौमता सहज प्रकाशन मौलिक अधिकार है।