1.0×

7.2 (15) परिवार-समूह-सभा में न्याय

  1. 1. दस जागृत मानव परिवार में से निर्वाचित दस सदस्य के परिवार समूह सभा का गठन न्याय है।
  2. 2. हर परिवार समूह सभा कार्य कर्त्तव्य रत हर सदस्य आत्मनिर्भर रहना न्याय है।
  3. 3. दस परिवार सहज संस्कृति-सभ्यता, विधि-व्यवस्था संबंधी पहचान किये रहना न्याय है।
  4. 4. हर सदस्य दस परिवार में संबंधों की सन्तुष्टि, समाधान, समृद्धि सहज प्रमाणों के प्रति जागृत रहना न्याय है।
  5. 5. कोई आगन्तुक व्यक्ति गाँव-मोहल्ले में होने का परिवार-ग्राम-मोहल्ला समितियों को पहचान कराने का अधिकार न्याय है।
  6. 6. हर सदस्य दसों परिवार के लोगों का समस्त उत्पादन-विनिमय कार्य में जागरूक-पूरक रहना न्याय है।
  7. 7. हर सदस्य सभी परिवारजन का जागृत रहने में ध्यान देना, आवश्यकता के अनुसार पूरक-उपयोगी होना न्याय है।
  8. 8. हर सदस्य का निपुणता-कुशलता-पाण्डित्य में पारंगत रहना न्याय है।
  9. 9. हर परिवार समूह सभा में से एक-एक सदस्य का निर्वाचन ग्राम-मोहल्ला-परिवार सभा गठन के लिये निर्वाचित करना न्याय है।

7.2 (16) ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा में न्याय

  1. 1. दस परिवार समूह सभा से निर्वाचित दस सदस्यों की सभा गठित होगी जिसका नाम ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा होगा। हर ग्राम-मोहल्ला का नाम रहता ही है। यह समाधान व न्याय है।
  2. 2. ग्राम-मोहल्ला-परिवार सभा के लिये निर्वाचित सभी सदस्य समान स्वत्व, स्वतंत्रता अधिकार सम्पन्न रहेंगे और आत्मनिर्भर रहेंगे। यह न्याय है।
  3. 3. आत्मनिर्भरता प्रत्येक जन प्रतिनिधि में समाधान-समृद्धि सम्पन्नता सहित स्वयं में विश्वास, श्रेष्ठता का सम्मान, प्रतिभा व व्यक्तित्व में संतुलन, व्यवहार में सामाजिक, उत्पादन रूपी व्यवसाय में स्वावलम्बी परिवार प्रतिनिधि रहेंगे। यह समाधान व न्याय है।
Page 87 of 212
83 84 85 86 87 88 89 90 91