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सभा सदस्यों में अधिकार समानता स्वरूप

सर्वतोमुखी समाधान समृद्धि प्रमाण सहित पाँचों समिति सहज कार्य गति में घटित समस्या का समाधान प्रस्तुत करने में निर्वाचित सभी दस सदस्यों का समानाधिकार स्वत्व स्वतंत्रता पूर्वक क्रियान्वयन न्याय है।

समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी में पारंगत प्रमाण होने का सत्यापन हर निर्वाचित सदस्य सत्यापित करेगा। परिवार के सभी सदस्य, निर्वाचित सदस्य मानवत्व सहित व्यवस्था सहज प्रमाण, सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करने में सक्षम होने का सहजता सहित निर्वाचन किये रहेंगे।

पाँचों आयामों का निरंतर गति प्रयोजन सहज वर्तमान ही स्वराज्य है। यही जागृति सम्पन्न मानव परंपरा है।

मानव प्रधानता = समाधान, समृद्धि सहित भागीदारी करना न्याय है।

  1. 7. सर्वमानव शुभ में व्यक्ति का स्व शुभ समाया है। यह न्याय है।
  2. 8. मानव लक्ष्य सर्व सुलभ होना ही सर्व शुभ है। यही सहज और न्याय है।
  3. 9. सभा के दसों सदस्य सर्व शुभ के अर्थ में प्रवर्तित,कार्यरत प्रमाणित रहेंगे। यह समाधान व न्याय है।

7.2 (17) ग्राम-मोहल्ला परिवार सभा संगठन

  1. 1. स्वराज्य सभा गठन प्रक्रिया के मूल में निर्वाचन विधि न्याय है।
  2. 2. निर्वाचन पूर्वक दस सदस्यों में अधिकार, स्वत्व, स्वतंत्रता समान है। यह गठन सूत्र है। यह स्वराज्य गति नित्य वर्तमान होना न्याय है।
  3. 3. निर्वाचन प्रक्रिया के मूल में सर्वशुभ ज्ञान-विवेक-विज्ञान सम्बद्धता न्याय है।
  4. 4. सदस्यों में स्वत्व, स्वतंत्रता, अधिकार, समानता ही गठन गुण सूत्र और वैभव है। यह न्याय है।
  5. 5. हर सदस्य में समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी समान यह गठन गुण सूत्र है, यह न्याय है।
  6. 6. हर सदस्य में मानवीयता पूर्ण आचरण प्रमाणित रहना गठन गुण सूत्र है। यह न्याय है।
  7. 7. समझदारी, ईमानदारी को ज्ञान-विवेक-विज्ञान स्वत्व सहज रूप में, जिम्मेदारी को स्वतंत्रता सहज रूप में और भागीदारी अधिकार सहज समान रूप में है। यह न्याय है।
  8. 8. व्यवहार-कार्य में ही भागीदारी, दायित्व-कर्त्तव्यों का निर्वाह का प्रमाण है। यह न्याय है।
  9. 9. मानवीय शिक्षा का प्रयोजन संस्कार मानवीयता में, से, के लिए स्वीकृति को कार्य-व्यवहार में, कार्य-व्यवहार सामाजिक अखण्डता व सार्वभौम व्यवस्था के रूप में प्रमाणित होता है। यह दायित्व हर सदस्यों में समान रहेगा, यही सर्वशुभ है। यही न्याय है।
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