4. प्रामाणिकता व समाधान पूर्ण विचार, समाधान व न्यायपूर्ण व्यवहार, न्याय व नियम पूर्ण आचरण, नियम व नियंत्रणपूर्ण उत्पादन और उपयोगिता सहित पूरक विनिमय क्रियाओं को करने, कराने और करने के लिए सहमत होने की प्रक्रिया।
12) प्रबुद्धता (मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना में पारंगत)
1. ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता।
2. सतर्कता एवं सजगता, निपुणता, कुशलता एवं पाण्डित्य पूर्ण व्यक्तित्व सहज प्रमाण।
3. मानव में निपुणता, कुशलता, पाण्डित्यपूर्ण कार्य-व्यवहार विन्यास ही नियम पूर्ण व्यवसाय, न्यायपूर्ण व्यवहार, समाधान पूर्ण विचार, प्रामाणिकता पूर्ण अनुभूतियों की अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा व प्रकाशन क्रिया।
13) विधान प्रबुद्धता में
1. प्रबुद्धता ही विधि सूत्र है। मानव में प्रबुद्धता, परिवार में संप्रभुता (न्याय व समाधान सहज प्रमाण) एवं अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में प्रभुसत्ता अर्थात् प्रबुद्धता पूर्ण सत्ता प्रमाण है।
2. विधि सहज धारणा अर्थात् समझदारी पूर्वक किया गया व्यवहार, व्यवसाय, आचरण और सुगम बनाने की प्रक्रिया।
14) विधि
1. मानवीय संस्कृति-सभ्यता सहज नियम सहज आचरण सूत्र व्याख्या।
2. नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, धर्म, सत्य सहज अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन ही मानवीय संस्कृति सहज आचरण-संहिता।
3. मानवीयता पूर्ण व्यवहार, आचरण, उत्पादन, विनिमय, मानवीय शिक्षा संस्कार, तन-मन-धन रूपी अर्थ का सदुपयोग और सुरक्षात्मक सूत्र और व्याख्या। विकास और जागृति, सतर्कता, सजगता, गुणात्मक विकास सहज प्रमाण में जीवन जागृति व जागृतिपूर्णता ही आचरणपूर्णता सहज सूत्र और व्याख्या है।
4. पूर्णता और उसकी निरंतरता के अर्थ में नियम, न्याय, धर्म और सत्य में अनुभव सहज जागृत मानव परंपरा में ही सूत्र और व्याख्या सम्मत प्रामाणिकता पूर्ण प्रक्रिया का प्रावधान।
15) व्यवस्था
1. अनुभव-व्यवहार-प्रयोग प्रमाण सहित परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था में भागीदारी।