2. वर्तमान में मानवत्व अर्थात् मानवीय आचरण, संस्कृति-सभ्यता, विधि-व्यवस्था सम्मत व्यवहार कार्य परंपरा।
3. विधि के अर्थ में नीति सहज निर्वाह परंपरा ही व्यवहार गति में स्थायित्व व निरंतरता और वर्तमान में विश्वास परंपरा।
16) व्यवहार
1. मानव और मानवेत्तर प्रकृति सहज परस्परता में निहित संबंध व मूल्यों का नियम, नियंत्रण एवं संतुलन पूर्वक निर्वाह।
2. मानव की परस्परता में निहित मूल्यों का निर्वाह।
3. एक से अधिक मानव एकत्रित होने पर या होने के लिए किया गया आदान-प्रदान।
4. संबंधों में निहित स्थापित मूल्यों में अनुभव सहित शिष्टतापूर्ण पद्धति से सम्प्रेषणा, व्यवसाय मूल्य पूरकता के अर्थ में उत्पादन, उपयोग, सदुपयोग एवं वितरण।
17) व्यक्ति
1. व्यक्तित्व अर्थात् मानवीयतापूर्ण आचरण सहज अर्थ से किया गया आहार-विहार-व्यवहार सम्पन्न मानव।
2. मानव चेतना सम्पन्न आहार, विहार, व्यवहार, प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलन सहज प्रमाण सम्पन्न समझदार व्यक्ति होने का प्रमाण, जागृति सम्पन्न मानव।
18) न्याय
1. मानवीयता में, से, के लिए पोषण, संवर्धन व्यवहार में प्रमाण एवं मूल्यांकन क्रियाकलाप।
2. संबंधों में निहित मूल्यों सहज पहचान व निर्वाह सहज क्रिया।
19) नैतिकता
1. नीति-त्रय का अनुसरण।
2. तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग और सुरक्षा।
20) नियम
1. क्रियापूर्णता सहज आचरण सहित नियंत्रण संतुलित क्रियाकलाप।
2. इकाइयों में, से, के लिए नियंत्रण क्रिया।
21) नियंत्रण = मानव की परस्परता में न्यायपूर्ण व्यवहार।
22) मानव
1. मनाकार को साकार करने वाला, मन:स्वस्थता के लिए आशावादी व प्रमाणित करने वाला।