1.0×
  1. 2. जड़-चैतन्य का संयुक्त साकार रूप।
  2. 3. अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन जागृति, रासायनिक और भौतिक रचना-विचरना का दृष्टा एवं जागृति सहज प्रमाण।

23) मूल्य

  1. 1. मौलिकता (मानव में ही प्रगट होना आवश्यक)।
  2. 2. प्रत्येक इकाई में निहित मौलिकता। (मानव ही पहचानता है)।
  3. 3. जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य, शिष्ट मूल्य, वस्तु मूल्य (30 कुल मूल्य)। उपयोगिता एवं कला की सिद्ध मात्रा = उत्पादित वस्तु मूल्य, स्थापित संबंधों में निहित स्थापित मूल्य, जिसका अनुभव में, से, के लिए अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा से प्रकाशित होने वाला शिष्ट मूल्य।

24) मानवीय आचरण

  1. 1. स्वधन, स्वनारी-स्वपुरुष, दयापूर्ण कार्य-व्यवहार विन्यास।
  2. 2. संबंधों की पहचान, मूल्यों का निर्वाह मूल्यांकन एवं उभयतृप्ति।
  3. 3. तन, मन, धन रूपी अर्थ की सुरक्षा और सदुपयोग।
  4. 4. मूल्य, चरित्र, नैतिकता का अविभाज्य वर्तमान रूप में किया गया संपूर्ण कार्य, व्यवहार, विचार विन्यास।

25) मानवीय मूल्य = जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य, शिष्ट मूल्य।

26) राज्य - परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था में भागीदारी

  1. 1. सहअस्तित्व सहज मानवत्व सहित व्यवस्था में वैभव।
  2. 2. मानव परंपरा में परिवार मूलक स्वराज्य, स्वानुशासन रूपी स्वतंत्रता सहज वैभव परंपरा।

3. राष्ट्र

  1. 4. दृष्टापद सहज जागृति पूर्ण मानव परंपरा ही अखण्ड राष्ट्र चेतना, व्यवस्था सहज प्रमाण।
  2. 5. मानवीय आचार संहिता रूपी संविधान का प्रभाव सहज आचरण परंपरा। धरती अखण्ड होना-रहना स्पष्ट है।
  3. 6. मानव, मानव संस्कृति एवं सभ्यता में निरंतरता सहित, उसके संरक्षण, संवर्धनकारी विधि व्यवस्था सहज अक्षुण्णता सहित परंपरा।

27) राष्ट्रीय चरित्र - मानव चेतना सहज समझदारी (संज्ञानीयता) में नियंत्रित संवेदना सहज प्रमाण परंपरा।

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