करने के लिए तैयारी कर लिये । समय प्रधान हो गया, वस्तु भूल गये । इस भूल के आधार पर लिये गये सभी निर्णयों से समस्यायें पैदा हुईं । क्रिया व फलन के आधार पर मूल्यांकन होने की आवश्यकता बनी रही ।

क्रिया के अवधि रुप में काल गणना होना स्पष्ट है । क्रिया अपने रुप में निरन्तर, शाश्वत है । होना, होते रहना के अर्थ में काल गणना है । सहअस्तित्व अपने आप में नित्य निरन्तर होने के अर्थ में है । नित्य निरंतरता होना स्पष्ट होता है । यही निरंतरता काल संज्ञा में आती है और शाश्वीयता भी काल संज्ञा में आती है । संपूर्ण प्रकृति शाश्वत होने के आधार पर, अविनाशी होने के आधार पर, शाश्वीयता प्रमाणित होती है । क्योंकि संपूर्ण पदार्थावस्था अस्तित्व धर्म के रुप में विद्यमान है, यही पदार्थावस्था विकसित होकर प्राणावस्था में वैभवित होने के आधार पर अस्तित्व सहित पुष्टि धर्मी होना पहचान में आ चुकी है । संपूर्ण जीव में अथवा जीवावस्था अस्तित्व, पुष्टि सहित आशा धर्मी होना समझ में आ चुकी है । इसी क्रम में मानव अस्तित्व, पुष्टि, आशा सहित सुख धर्मी होना भी स्पष्ट है । सहअस्तित्व में अनुभव = समाधान = सुख अनुभव से ही सुख होने की बात भी सुस्पष्ट हो चुकी है । इस विधि से अस्तित्व अविनाशी होना समझ में आता है । इसीलिए काल नित्य वर्तमान ही है । वर्तमान वस्तु के रुप में सहअस्तित्व ही है । वर्तमान को ही हम काल नाम दिये हैं । काल शब्द में वर्तमान ही अर्थ है । वर्तमान के रुप में सहअस्तित्व ही है । इस प्रकार काल सहअस्तित्व के अर्थ में नित्य वर्तमान होना समझ में आता है ।

भूत और भविष्य के अर्थ में जो काल को पहचानते हैं, वह भी क्रिया की अवधि के आधार पर ही पहचानते हैं । क्योंकि हर आवर्तनशीलता पहले भी घटी थी, अभी भी घट रही है और आगे भी घटती रहेगी । इस विधि से हम घटना के आधार पर भूत, भविष्य, वर्तमान को गढ़ने जाते हैं । मानव कल्पनाशील, कर्म स्वतंत्र होने के आधार पर सहज क्रिया की अवधि को अनेक भागों में विभाजित करते हुए, हम काल शून्य की जगह में पहुंच जाते हैं । यह एक छोटी सी घटना मानव के लिये अत्यन्त सुलभ है । एक घण्टे को 60 से विभाजित करते चल जायें, उसमें से 1 को पुनः विभाजित कर दें, इसको कई बार करने के बाद कितना बचा कहने पर कहते है, कुछ नहीं के बराबर या कुछ नहीं । पर यही मानव के भटकने का आधार बन गया । इसीलिए विज्ञान युग में काल को पहचानना सर्वाधिक जटिल हो गया । संभव नहीं है, ऐसा लगता है ।

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