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शिक्षा संस्कार समिति के सदस्य की अर्हता :-

शिक्षा संस्कार समिति के सदस्यों की अर्हताएँ निम्न प्रकार होंगी:-

  1. 1) प्रत्येक सदस्य जीवन-विद्या एवं वस्तु-विद्या ज्ञान, विवेक, विज्ञान में पारंगत रहेगा।
  2. 2) वह व्यवहार में सामाजिक व व्यवसाय में स्वावलम्बी होगा।
  3. 3) उसमें स्वयं में विश्वास व श्रेष्ठता के प्रति सम्मान करने का प्रमाण रहेगा।
  4. 4) प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलित होने का प्रमाण रहेगा।

शिक्षा संस्कार व्यवस्था के मूल उद्देश्य:-

प्रत्येक मानव को -

  1. 1) व्यवहार में सामाजिक
  2. 2) व्यवसाय में स्वावलंबी
  3. 3) स्वयं के प्रति विश्वासी
  4. 4) श्रेष्ठता के प्रति सम्मान करने में पारंगत, जिससे व्यक्तित्व व प्रतिभा का संतुलन प्रमाणित हो।

शिक्षा संस्कार व्यवस्था का स्वरूप :-

  1. 1) प्रत्येक मानव को व्यवहार शिक्षा में पारंगत बनाना।
  2. 2) प्रत्येक को व्यवसाय शिक्षा में पारंगत कर एक से अधिक व्यवसायों में स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर निपुण व कुशल बनाना।
  3. 3) प्रत्येक को साक्षर, समझदार बनाना।
  4. 4) ग्राम सभा पाठशाला की व्यवस्था स्थानीय आवश्यकतानुसार करेगी।
  5. 5) आयु वर्ग के आधार पर शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था होगी।

शिक्षा की व्यवस्था ग्रामवासियों के लिए निम्नानुसार की जावेगी-

  1. 1) बाल शिक्षा।
  2. 2) बालक जो स्कूल छोड़ दिए हैं व दस वर्ष से अधिक आयु के हैं, ऐसे बच्चों को 30 वर्ष तक के अन्य अशिक्षित व्यक्तियों के साथ व्यवहार शिक्षा व व्यवसाय शिक्षा में पारंगत बनाने की व्यवस्था रहेगी।
  3. 3) 30 वर्ष की आयु से अधिक स्त्री पुरुषों को साक्षर-समझदार बनाकर व्यवहार शिक्षा में पारंगत बनाने की व्यवस्था होगी।
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